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Samajwadi Party: यूपी की अतिविशिष्ट लोकसभा सीटों पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पहले प्रत्याशी उतार कर भाजपा को घेरने का प्लान बनाया है। ‘इंडिया’ गठबंधन की मोर्चेबंदी, जातीय जनगणना के संभावित असर और पीडीए के मुद्दे के जरिए सपा मान रही कि कई सीटें वह भाजपा से छीन सकती है तो अपनी प्रतिष्ठित खोई हुई सीटें पा सकती है।
पिछले चुनावी रण के नतीजे बताते हैं कि भाजपा द्वारा इन सीटों पर स्थापित किया गया जीत का भारी अंतर ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए कठिन डगर बना रहा है। ऐसा इसलिए है कि पिछली बार सपा बसपा के गठजोड़ के बावजूद भाजपा की लहर के आगे इन वीआईपी सीटों में अधिकांश पर भाजपा जीती। सपा के लिए कन्नौज सीट हारना बड़ा झटका रहा। हालांकि सपा के दिग्गज मुलायम सिंह, अखिलेश यादव व आजम खां अपनी-अपनी सीटें जीतने में कामयाब रहे थे। भाजपा की इस बार कोशिश सपा और कांग्रेस की दिग्गज नेताओं को शिकस्त देकर उनकी सीटें छीनने की है।
पिछली बार भाजपा ने अमेठी में राहुल गांधी को परास्त कर चुनाव जीता। इनके बारे में कांग्रेस को तय करना है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बाकी वीआईपी सीटों पर नवरात्र में प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। क्या यह मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने के लिए दिया गया बयान है। ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए वाराणसी, गाजियाबाद, लखनऊ जैसी सीटों पर भाजपा के दिग्गज नेताओं से मुकाबला करना पड़ेगा।
वैसे सपा में अपनी खास सीटों पर प्रत्याशी एक तरह से तय ही माने जा रहे हैं। अखिलेश यादव के लिए कन्नौज या आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा है। अगर आजमगढ़ से नहीं लड़े तो वहां शिवपाल या उनके बेटे को टिकट मिल सकता है।