Impact of Multivitamin: अक्सर लोग कमजोरी महसूस होने पर बिना डॉक्टर से परामर्श लिए ही रोजाना एक बार मल्टीविटामिन लेना शुरू कर देते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इसका आपके शरीर में कहां और कितना असर होता है? क्या मल्टीविटामिन के कैप्सूल या टैबलेट या पाउडर लेना हमेशा फायदा ही पहुंचाता है? अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तीन साल के लंबे शोध में नियमित तौर पर मल्टीविटामिन लेने के शरीर पर असर का अध्ययन किया है.
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि रोज एक बार मल्टीविटामिन लेने से उम्र के साथ होने वाले मेमोरी लॉस यानी स्मृति गिरावट को रोका जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मेमोरी लॉस को रोकने का ये सबसे किफायती तरीका है. अध्ययन में पाया गया कि मल्टीविटामिन लेने से स्मृति गिरावट या स्मृति लोप को तीन अतिरिक्त साल के लिए टाला जा सकता है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. एडम एम. ब्रिकमैन के मुताबिक, बढ़ती उम्र में लोगों को समृति का खोना सबसे ज्यादा परेशान करता है. उनके मुताबिक, मल्टीविटामिन समेत कई चीजें हैं, जिनके जरिये इस स्थिति को टाला जा सकता है.
क्या अल्जाइमर से बचाते हैं मल्टीविटामिन?
प्रोफेसर ब्रिकमैन के मुताबिक, अध्यय में पाया गया कि मल्टीविटामिन बढ़ती उम्र के साथ भी समृति को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकती है. बीबीसी साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इससे समृति से मामूली असर हो सकता है, लेकिन फिर भी ये उम्रदराज लोगों को समृति लोप के जोखिम से बहुत हद तक सुरक्षित रख सकती है. उन्होंने कहा कि ब्रेन ट्रेनिंग ऐप्स में पाई जाने वाली कॉग्निटिव एक्सरसाइज के मुकाबले अच्छा आहार और सप्लीमेंट्स बेहतर काम कर सकते हैं. मल्टीविटामिन का मस्तिष्क का संज्ञानात्मक अभ्यासों के मुकाबले ज्यादा और सीधा असर होता है. यही नहीं, मल्टीविटामिन का नियमित सेवन हमें अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति कम संवेदनशील भी बनाता है.
मल्टीविटामिन का नियमित सेवन हमें अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति कम संवेदनशील भी बनाता है.
डिमेंशिया का असर कैसे हो सकता है कम?
प्रोफेसर एडम ने स्पष्ट किया कि इस अध्ययन में न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों की जांच नहीं की गई, बल्कि इसमें उम्र से जुड़ी सामान्य संज्ञानात्मक गिरावट की जांच की गई है. उनके अनुसार, अन्य भाषाओं को सीखने जैसे संज्ञानात्मक अभ्यासों का मस्तिष्क स्वास्थ्य पर सीधा असर नहीं हो सकता है. इसके बजाय ये भूलने की बीमारी डिमेंशिया के प्रभावों को कम कर सकते हैं. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित अध्ययन में 60 साल से ज्यादा उम्र के 3,500 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण किया गया. एक समूह को तीन साल तक रोज मल्टीविटामिन और दूसरे समूह को प्लेसीबो लेने को कहा गया. फिर हर साल के अंत में प्रतिभागियों की याददाश्त का परीक्षण करने के लिए संज्ञानात्मक आकलन किया गया.
तेजी से दर्ज किया गया समृति में सुधार
शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले ही साल उन प्रतिभागियों में समृति सुधार देखा गया, जो रोज एक बार मल्टीविटामिन का सेवन कर रहे थे. शोाकर्ताओं ने बताया कि समृति के मामले में मल्टीविटामिन लेने वाले बाकी प्रतिभागियों के मुकाबले करीब तीन साल छोटे पाए गए. आसान शब्दों में समझें तो उनकी समृति में गिरावट तीन अतिरिक्त साल के लिए टाल दी गई थी. वहीं, प्लेसीबी लेने वालों की समृति में गिरावट पर कोई असर नहीं पड़ा. उनकी यादाश्त उम्र के मुताबिक कम हो रही थी. साथ ही शोधकर्ताओं ने पाया कि कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों वाले लोगों की समृति सुधार काफी स्पष्ट था. इससे साफ हुआ कि कार्डियोवैस्कुलर बीमारी वाले लोगों में सूक्ष्म पोषक स्तर कम हो सकते हैं, जो मल्टीविटामिन से सही हो सकते हैं.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, मटीविटामिन संतुलित आहार का विकल्प नहीं हो सकते हैं.
क्या संतुलित आहार का विकल्प हैं मल्टीविटामिन
प्रोफेसर ब्रिकमैन के मुताबिक, अभी ये साफ नहीं हुअ है कि कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के लोगों में मल्टीविटामिन का समृति पर असर तेजी से क्यों हुआ? हालांकि, शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि विटामिन की खुराक संतुलित आहार का अच्छा विकल्प नहीं हो सकती हैं. ब्रिकमैन सलाह देते हैं कि मल्टीविटामिन लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें. साथ ही कहते हैं कि अगर आपको समृति में गिरावट का अनुभव हो रहा है तो अधिकांश लोगों के लिए नियमित मल्टीविटामिन लेना सुरक्षित रहने की संभावना है. बता दें कि अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों मंे ज्यादातर यूरोपीय मूल के गोरे लोगों को शामिल किया गया था. शोधकर्ताओं की टीम अब अलग-अलग क्षेत्र के लोगों पर मल्टीविटामिन के असर का अध्ययन करेंगे.
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Tags: Health News, Healthy Diet, Medicines, Memory, Mental Health Awareness
FIRST PUBLISHED : May 29, 2023, 20:37 IST