Friday, March 14, 2025
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‘अगर जोशीमठ में बारिश और भूकंप आया तो…’, IIT प्रोफेसर का दावा, बिगड़ सकते हैं हालात


हाइलाइट्स

उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन से बिगड़े हालात
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने किया बड़ा दावा
एक्सपर्ट ने बताई जोशीमठ त्रासदी के पीछे की वजह

कानपुर. उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधंसाव और भूस्खलन से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. आईआईटी कानपुर की एक टीम ने इस पूरे इलाके का सर्वे भी किया था. अब आईआईटी के प्रोफेसर राजीव सिन्हा का कहना है कि अगर जोशीमठ में बारिश या भूकंप आता है तो स्थिति और खराब हो सकती है. उनका कहना है कि जोशीमठ में तबाही का मंजर और घरों में दरारें पहले से बी शुरू हो गई थी. हालांकि अभी सर्दियों का मौसम का, लेकिन अगर बारिश हुई या इलाके में भूंकप के हालात बने तो स्थिति और बिगड़ सकती है. इतना ही नहीं आईआईटी एक्सपर्ट ने इस त्रासदी के पीछे की 3 वजहों को भी बताया है.

प्रोफेसर राजीव सिन्हा ने जोशीमठ में हो रही त्रासदी के पीछे तीन मुख्य कारण बताए हैं. पहला यह एक सक्रिय क्षेत्र है और जोन 5 में आता है. दूसरा, यह क्षेत्र भूकंप और भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है. और तीसरा, पूरा इलाका पुराने भूस्खलन के मलबे पर बना हुआ है. मकानों की नींव सही तरीके से नहीं बनाई गई है. बिना किसी प्लानिंग के यहां निर्माण कार्य किए गए हैं.

अलकनंदा और धौलीगंगा के पास किया गया सर्वे

प्रोफेसर राजीव सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ क्षेत्र के मकानों की नींव और निर्माण कार्य सही तरीके से नहीं किए गए हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस इलाके में पत्थरों की दरारों के बीच से पानी का रिसाव हो रहा है. ऐसे में अगर पानी का दबाव बढ़ जाता है तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है. बता दें कि आईआईटी कानपुर की सर्वेक्षण टीम ने अलकनंदा और धौलीगंगा के पास सर्वे भी किया था. उनका कहना है कि हमने 2 साल के लिए एनटीपीसी प्लांट के लिए अलकनंदा और धौलीगंगा के पास सर्वे किया था. हमने वारी जिले में कई बदलाव देखे हैं.”

ये भी पढ़ें:  क्या होता है भूस्खलन और भूधंसाव क्षेत्र, जोशीमठ को क्यों घोषित किया ऐसा इलाका? 

केंद्र ने बनाई एक्सपर्ट्स की टीम

जोशीमठ की स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद अध्ययन करने और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए 7 विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, IIT रुड़की, वाडिया हिमालयी भूविज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों को स्थिति का आकलन करने और जानकारी देने का काम सौंपा गया है.

Tags: Joshimath, Joshimath news, Uttarakhand news



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