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Supreme Court News: अगले साल काफी कुछ होने वाला है। पॉलिटिक्स में जहां एक बार फिर से पांच साल बाद लोकसभा चुनाव होगा, तो कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी कई जज रिटायर होंगे। अगले साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों का रिटायरमेंट होना है। इसके अलावा, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ भी रिटायर होने वाले हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग मामलों की बात करें तो उसकी संख्या 80 हजार हो गई है। ऐसे में खाली होने वाले पदों को भरना काफी जरूरी हो जाएगा।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में कुल जजों की संख्या की बात करें तो वह 34 है। इसमें से दिसंबर के तीसरे हफ्ते में जस्टिस संजय किशन कौल पहले ही रिटायर हो चुके हैं, जिससे एक पद खाली हो गया है। अगले साल तीन जजों का रिटायरमेंट होना है। इसमें पहले नंबर पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस हैं, जिनका रिटायरमेंट अप्रैल महीने में होगा। इसके बाद मई महीने में जस्टिस एएस बोपन्ना और फिर सितंबर महीने में जस्टिस हिमा कोहली रिटायर होंगी। इस तरह तीन जजों के रिटायरमेंट का समय तय हो चुका है।
जस्टिस हिमा कोहली के रिटायरमेंट के साथ ही, सुप्रीम कोर्ट में दो महिला जज बचेंगी। 2024 में रिटायर होने वाले जजों में सभी ने अधिकतम चार साल तक ही सुप्रीम कोर्ट में बिताए हैं। अगले साल सुप्रीम कोर्ट से जो सबसे बड़ा रिटायरमेंट होना है, वह कोई और नहीं, बल्कि खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ हैं। डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई बनने के बाद से ही काफी लोकप्रिय रहे हैं। उनके फैसलों, सुनवाई के दौरान की गईं टिप्पणियों की बहुत चर्चाएं होती रही हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल नवंबर महीने में खत्म हो जाएगा। इसके बाद देश के अगले सीजेआई संजीव खन्ना होंगे, जोकि 11 नवंबर, 2024 से 13 मई, 2025 तक पद पर रहेंगे।
इस साल कई सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए कई अहम फैसले
सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के वर्ष 2023 में कई बड़े फैसले सुनाए, जिनमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने, नोटबंदी संबंधी केंद्र के निर्णयों का बरकरार रखना तथा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किए जाने जैसे निर्णय शामिल हैं। सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व में शीर्ष अदालत ने एक जनवरी से 15 दिसंबर, 2023 के बीच अभूतपूर्व रूप से 52,191 मामलों का निपटारा करके एक रिकॉर्ड बनाया। इसने पिछले वर्ष लगभग 40,000 मामलों का निपटारा किया था। मोदी सरकार को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और नोटबंदी के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट से जोरदार समर्थन मिला, लेकिन शीर्ष अदालत के एक आदेश में यह माना गया कि राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर दिल्ली सरकार के पास सेवाओं पर विधायी एवं कार्यकारी नियंत्रण है।