ऐप पर पढ़ें
सेना में भर्ती होने वाले उम्मीदवारों को इस साल से अनिवार्य रूप से मानसिक जांच परीक्षा से गुजरना होगा। इनमें तीन पैरामीटरों पर जवानों की जांच होगी। एक कहीं उसमें खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति तो नहीं है। दूसरे, वह दूसरों को तो नुकसान नहीं पहुंचाएगा और तीसरे सामाजिक रूप से उसकी प्रवृत्ति नकारात्मक तो नहीं है। इन तीन पैरामीटर पर खरा उतरने के बाद ही उसे सैनिक बनने का मौका मिलेगा।
सेना के सूत्रों ने कहा कि यह प्रावधान अग्निवीरों से शुरू होगा तथा अन्य सभी भर्तियों पर लागू होगा। जहां सीधे भर्ती है, वहां भी उम्मीदवारों को यह परीक्षा देनी होगी। माना जा रहा है कि यह कदम सेना में आत्महत्या या सहयोगियों पर बढ़ते हमलों और कई जवानों के समाज विरोधी कार्य में लिप्त होने के मद्देनजर लिया गया है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार अग्निवीरों की भर्ती में मानसिक स्वास्थ्य जांच परीक्षा को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था। पिछले साल रोहतक में अग्निवीरों की भर्ती में इसकी शुरूआत की गई थी। अब सभी केंद्रों पर अग्निवीरों की भर्ती में इसे लागू करने की तैयारी है। वर्ष 2024-25 के दौरान इसे पूरी तरह से क्रियान्वित कर दिया जाएगा। सेना में अग्निवीरों के साथ-साथ मिलिट्री पुलिस में भर्ती होने वाले जवानों के लिए यह भी यह परीक्षा अनिवार्य की जाएगी।
मेडिकल के दौरान होगी ये परीक्षा
सेना ने मानसिक जांच के लिए एक माड्यूल तैयार किया है जिसमें उपरोक्त तीन पैरामीटर पर जवानों की मानसिकता को परखा जाएगा। मेडिकल जांच के दौरान ही यह परीक्षा पूरी होगी। सेना के सूत्रों के अनुसार प्रतिवर्ष 100-140 जवान आत्महत्या करते हैं। तीनों सेनाओं में मिलाकर यह संख्या और भी ज्यादा है।
संसद में दी गई जानकारी के अनुसार 2017-22 के बीच में तीनों सेनाओं के करीब आठ सौ जवानों ने आत्महत्या की है। हालांकि इसमें कुछ मामले गलती से गोली चलने के कारण मौत के भी हो सकते हैं। इसके अलावा कई ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जब जवान ने छुट्टी नहीं मिलने और अन्य कारणों के चलते अपने साथियों या अफसर पर हमले किए।
सेना के अनुसार जवानों में बढ़ते तनाव से निपटने के लिए अलग से भी मानसिक देखभाल कार्यक्रम मानसिक सहायता अभियान ‘मन्सा’ भी शुरू किया गया है। जिसमें अग्निवीर समेत सभी रैंक को शामिल किया गया है।