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चार दशकों के लंबे अपराधिक इतिहास में लगातार विचाराधीन बंदी की कहला रहे माफिया डॉन अतीक अहमद को अब मुजरिम कहा जाएगा और उसके नाम के आगे अब कैदी नंबर… लग जाएगा। जेल मैनुअल के प्रावधानों के मुताबिक जब किसी विचाराधीन बंदी को किसी मुकदमे में सजा सुनाई जाती है और सजा का वारंट जेल पहुंचता है तो फिर उसे जेल में कैदी की तरह रहना पड़ता है। उस कैदी को जेल से मिली ड्रेस पहननी होगी और उस कैदी को जेल में एक नंबर से जाना जाएगा। उमेश पाल अपहरण मामले में विशेष अदालत ने सजा का वारंट अविलंब जेल भेजने को कहा है ऐसे में अतीक अहमद को जेल में अब एक कैदी की तरह रहना होगा।
सजा के दौरान काम भी करना होगा
माफिया डॉन अतीक अहमद को जेल में सजा काटने के दौरान काम भी करना पड़ेगा क्योंकि विशेष अदालत ने उसे सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट में फौजदारी मामलों के अधिवक्ता महेश शर्मा कहते हैं कि अदालत जब किसी दोषसिद्ध अपराधी को सश्रम कारावास की सजा सुनाती है तो उस कैदी को सजा की अवधि के दौरान काम भी करना पड़ेगा। हां, उससे जेल में जो काम लिया जाएगा, जेल मैनुअल के प्रावधानों के मुताबिक उसे उसके काम का मेहनताना भी दिया जाएगा।
अतीक अहमद को सजा के खिलाफ अभियुक्त, अभियोजन और शिकायतकर्ता, तीनों कर सकते हैं अपील
बकौल एडवोकेट शर्मा जेल मैनुअल में कैदियों के रहने, खाने, काम के घंटे से लेकर फांसी तक के नियम निर्धारित होते हैं। कैदियों को जेल के अंदर काम करने के लिए भुगतान मिलता है, जो काम स्वेच्छा से या उनकी सजा का हिस्सा हो सकता है। मजदूरी उनके वर्गीकरण के आधार पर तय की जाती है कुशल, अर्द्ध कुशल एवं अकुशल और दर समय-समय पर संशोधित की जाती है।
देश की जेलों में जितने कैदी हैं, उन सभी को काम करना होता है। वे अपने काम से जेल में धन कमाते हैं। उनके खाते खोले जाते हैं। कुछ जेलों में कैदी काम के अनुसार ज्यादा पैसा कमा लेते हैं। कुछ जेलों में कैदियों के बैंक में अकाउंट खुलवाकर उनका धन उसमें जमा किया जाता है। कैदियों के कमाए गए धन का कुछ हिस्सा उन्हें जेल में खर्च करने के लिए भी दिया जाता है। जेल में करेंसी की जगह पैसे के कूपन मिलते हैं। ये कूपन अलग-अलग कीमत के होते हैं। कैदियों के परिजन भी उनके लिए पैसे जमा करा सकते हैं, जिसे कूपन में कन्वर्ट करके उन्हें दे दिया जाता है। अगर वो जेल में मेहनत मजदूरी करके पैसे कमाते हैं, वो उस पैसे को घर भी भेज सकते हैं या जेल प्रशासन उनके पैसे का कुछ हिस्सा जमा करता रहता है, जो उन्हें तब मिलता है, जब उनकी रिहाई होती है।