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Atiq Ahmad: उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया अतीक और उसके परिवार पर शिकंजा कसने में पुलिस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। इस बीच अब इस हत्याकांड के लिए रेकी करने वाले पांच आरोपियों को धूमनगंज से गिरफ्तार किया है। अतीक अहमद के मुंशी और चालक की निशानदेही पर माफिया के चकिया स्थित ध्वस्त पुराने दफ्तर से पुलिस ने 72 लाख 37 हजार रुपये, विदेश पिस्टल समेत 10 असलहे, मैगजीन, 112 कारतूस और छह मोबाइल बरामद किए है। हैरानी की बात यह है कि इस दफ्तर पर दो-दो बार बुलडोजर चल चुका है। यह दफ्तर 2007 तक गुलजार रहता था।
पकड़े गए आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं। जिसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है। उनके मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है।
नोट की गड्डियां देख मंगानी पड़ी मशीन
पुलिस अफसर लाखों रुपये देखकर हैरान रह गए। अफसरों ने नोटों की गड्डियां सामने रखीं और उसकी काउंटिंग के लिए मशीन मंगाई गई। पूरामुफ्ती एसओ उपेंद्र प्रताप और दरोगा विपिन यादव की ड्यूटी नोटों को गिनने में लगा दी गई। आधे घंटे तक पुलिस टीम नोट गिनती रही।
पुलिस आयुक्त रमित शर्मा और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि ने मंगलवार को बताया कि धूमनगंज पुलिस ने नियाज अहमद, मो. सजर, कैश अहमद, राकेश और अरशद कटरा को गिरफ्तार किया। इनके पास से दो लाख 25 हजार रुपये और मोबाइल मिले। राकेश और कैश की निशानदेही पर पुलिस ने चकिया में अतीक के कार्यालय में छापामारी कर 72 लाख 37 हजार रुपये बरामद किया। कुल मिलाकर पुलिस ने 74 लाख 62 हजार रुपये बरामद किए हैं।
कभी गुलजार रहता था ये दफ्तर
माफिया अतीक अहमद का चकिया स्थित कार्यालय 2007 तक गुलजार रहता था। प्रदेश में 2007 में बसपा सरकार बनते ही कार्यालय में सन्नाटा पसर गया। चौफटका रेलवे ओवरब्रिज के पास अवैध रूप से कार्यालय बनाया गया था। 2008 में प्रदेश सरकार के निर्देश पर एडीए (अब पीडीए) ने अतीक और उसके गुट से जुड़े लोगों के खिलाफ अभियान शुरू किया।
घर टूटा तो यहीं बांधा जाने लगा घोड़ा
अतीक के अवैध कार्यालय पर भी बुलडोजर चला। इसके बाद कार्यालय वर्षों वीरान रहा। 2012 में प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद कार्यालय फिर गुलजार होने लगा। हालांकि समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद से किनारा कर लिया था। कार्यालय में अतीक समर्थक बैठते थे पर इसके टूटे हिस्से की पूरी तरह मरम्मत नहीं हुई। 2017 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो एकबार फिर अतीक के कार्यालय के हिस्से का ध्वस्तीकरण हुआ। इसके बाद कार्यालय वीरान पड़ा रहा। चकिया स्थित आवास का ध्वस्तीकरण होने के बाद महीनों अतीक का घोड़ा और मवेशी इसी कार्यालय में रखे जाते थे। बाद में घोड़ा और मवेशी हटा दिए गए। उमेश पाल हत्याकांड के बाद कार्यालय में अतीक के नौकर ही कभी-कभी आते-जाते थे।
मुंशी और ड्राइवर से खुला राज
प्रयागराज पुलिस और क्राइम ब्रांच ने जब अतीक अहमद के मुंशी राकेश और चालक कैश को पकड़ा तो उन्होंने खुलासा किया लाखों रुपये ओर असलहे अतीक अहमद के पुराने कार्यालय में छिपाकर रखे गए हैं। धूमनगंज इंस्पेक्टर राजेश मौर्या क्राइम ब्रांच की टीम के साथ अतीक के चालक कैश और मुंशी राकेश को लेकर ध्वस्त कार्यालय के अंदर गए। कमरे के अंदर पुराना सोफा पड़ा था। छत टूटी हुई थी। उसी खंडहर में काले रंग के बैग में असलहा और नोटों की गड्डियां मिलीं। रुपयों और असलहों की तलाश में पुलिसकर्मियों ने फावड़े और कुदाल से खोदाई भी की।