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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए सेवा संबंधी अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने निकले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से मुलाकात की। पंजाब सीएम भगवंत मान के साथ पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा के लिए कोलकाता में ममता बनर्जी से मुलाकात की। अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ ‘अपनी लड़ाई’ के वास्ते समर्थन जुटाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी दौरे पर निकले हैं।
क्या है केंद्र का अध्यादेश?
बता दें कि केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए शुक्रवार को अध्यादेश जारी किया। यह अध्यादेश सुप्रीम द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के एक सप्ताह बाद आया। अब दिल्ली सरकार ने इसके खिलाफ विपक्षी समर्थन जुटाने का आह्वान किया है।
विपक्षी एकता के बीच केजरीवाल का ‘देश भ्रमण’
बता दें कि केजरीवाल ऐसे समय में ‘देश भ्रमण’ पर निकले हैं जब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को लेकर खूब बहस हो रही है। पंजाब के सीएम और आप नेता भगवंत मान अरविंद केजरीवाल के साथ हैं। उनके शाम तक मुंबई पहुंचने की भी उम्मीद है और बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात करने की संभावना है। राघव चड्ढा और आतिशी समेत आप के अन्य नेता भी बंगाल की मुख्यमंत्री से मिलने कोलकाता पहुंचे हैं।
बंगाल जाने से पहले केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा, “आज से देश भर में निकल रहा हूँ। दिल्ली के लोगों के हक़ के लिए। SC ने बरसों बाद आदेश पारित करके दिल्ली के लोगों के साथ न्याय किया, उन्हें उनके हक दिये। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर वो सारे हक़ वापिस छीन लिए। जब ये कानून राज्य सभा में आएगा तो इसे किसी हालत में पास नहीं होने देना। सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से मिलकर उनका साथ मांगूंगा।”
2024 से क्या कनेक्शन?
विपक्षी एकता को लेकर हो रही बैठकों के बीच एक सवाल सबसे ज्यादा उठ रहा है- मोदी बनाम कौन? कुछ पार्टियां खुले तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अगला नंबर बिहार सीएम नीतीश कुमार, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल और बंगाल सीएम ममता बनर्जी का माना जाता है।
इन सबके बीच AAP नेता केजरीवाल लंबे समय से ‘एकला चलो रे’ का राग गा रहे थे, लेकिन अब समर्थन के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी सहित कई भाजपा विरोधी ताकतों तक पहुंच रहे हैं। इसका एक मकसद जहां राज्यसभा में अध्यादेश को पास न होने देना है तो वहीं दूसरी मकसद 2024 से पहले ‘विपक्षी एकता’ पर चर्चा का भी है।
आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में सेवा मामले पर केंद्र के अध्यादेश संबंधी विधेयक को राज्यसभा में विफल करने के लिए सभी गैर-भाजपा दलों का समर्थन मांगते हुए सोमवार को कहा था कि यह विपक्षी दलों के लिए “अग्नि परीक्षा का समय” है और अगर वे देश के लोकतंत्र एवं संविधान को बचाना चाहते हैं तो उन्हें साथ आना चाहिए।
कांग्रेस से बात करेंगे केजरीवाल?
आप के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा, “सभी विपक्षी दलों को अध्यादेश के खिलाफ एक साथ आना चाहिए। यह अग्नि परीक्षा का समय है। देश में आपातकाल है। देश में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है।” यह पूछे जाने पर कि क्या केजरीवाल मुद्दे पर कांग्रेस से संपर्क करेंगे, सिंह ने कहा कि कांग्रेस को भी यह भी तय करना होगा कि वह भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे के पक्ष में है या खिलाफ। संजय सिंह ने कहा कि अध्यादेश को बदलने के लिए केंद्र को संसद से विधेयक पारित कराना होगा। उन्होंने कहा कि यदि सभी विपक्षी दल एक साथ आते हैं और राज्यसभा में विधेयक के खिलाफ मतदान करते हैं तो केंद्र के प्रयास को विफल किया जा सकता है क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा के पास उच्च सदन में पर्याप्त संख्या नहीं है।
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