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गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान को भारत की उन्नति देखी नहीं जा रही है। भारत जी 20 की बैठक लेकर काफी उत्साहित है। मगर यह बात पाकिस्तान को फूटी कौड़ी नहीं सुहा रही है। भारत के जम्मू-कश्मीर में जी 20 बैठक के आयोजन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी। मगर भारत ने दो टूक शब्दों में पाकिस्तान का मुंह बंद कर दिया है। भारत ने शनिवार को पाकिस्तान की उस आपत्ति को सीधे तौर पर खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
पर्यटन पर जी 20 वर्किंग ग्रुप की बैठक 22-24 मई को श्रीनगर में होने वाली है। जम्मू-कश्मीर की राजधानी में इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। मार्च 2022 में कश्मीर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय निवेश सम्मेलन में 36 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। राजनयिक हलकों के एक वर्ग के मुताबिक, भारत इस बार वहां जी 20 की मेजबानी का फैसला कर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाना चाहता है।
इसके अलावा, नरेंद्र मोदी सरकार अनुच्छेद 370 के हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में हो रहे विकास के संदेश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाना चाहती है। संयोग से, पाकिस्तान ने श्रीनगर को पिछले साल जी 20 के लिए स्थल के रूप में घोषित किए जाने पर आपत्ति जताई थी। बाद में चीन आपत्ति में शामिल हो गया। उस समय नई दिल्ली ने भी कहा था कि घोषणा के अनुरूप श्रीनगर में जी 20 का आयोजन होगा।
क्या है जी 20?
जी 20 ग्रुप का गठन सन् 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था। इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल कर वैश्विक स्थिरता को सुरक्षित करना है। जी 20 देशों में दुनिया की 60% आबादी, वैश्विक जीडीपी का 85% और वैश्विक व्यापार का 75% शामिल है। जी 20 ग्रुप में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। जी 20 सम्मेलन में स्पेन को स्थायी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
गले तक कर्ज में पाकिस्तान
पाकिस्तान की आर्थिक हालत पतली है, वह आईएमएफ का कर्ज लेने के लिए अलग अलग देशों के सामने भीख का कटोरा लेकर पहुंच रहा है, ताकि उसके खजाने में इतना धन मौजूद हो सके जिसके बिनाह पर उनके आईएमएफ से लोन मिल सके। पाकिस्तान के खास दोस्त चीन ने उसे लोन दिया है। इसके साथ ही मुस्लिम देशों – सऊदी और अब यूएई से भी पाकिस्तान को लोन मिलने वाला है। इन पैसों से पाकिस्तान अपना खजाना भरने वाला है, ताकि आईएमएफ के लोन का रास्ता साफ हो सके।
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