ऐप पर पढ़ें
माफिया अतीक अहमद के बेटों मोहम्मद उमर और अली अहमद को अब पेशी के दौरान अपनी हत्या की आशंका सता रही है। अपनी जान पर खतरा बताते हुए सुरक्षा के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। दोनों की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय से काल्पनिक आधार पर सुरक्षा का आदेश नहीं मिल सकता। पेशी के दौरान खतरे को लेकर कुछ विश्वसनीय साक्ष्य भी होने चाहिए ताकि न्यायालय उस पर सरकार को आदेशित कर सके। गौरतलब है कि इससे पहले अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में 15 अप्रैल को हत्या कर दी गई थी। मुख्तार अंसारी के करीबी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की भी पेशी के दौरान लखनऊ कोर्ट में मार डाला गया है।
न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता एवं न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने उमर एवं अली की याचिकाओं पर उनके वकील और शासकीय अधिकता आशुतोष कुमार संड व अपर शासकीय अधिकता जेके उपाध्याय को सुनने के बाद उमर व अली को उनकी आशंका पर बेहतर हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख लगाई है।
याचिकाओं में कहा गया है कि दोनों आपराधिक मामलों को लेकर जेल में निरुद्ध हैं। उन मुकदमों के संदर्भ में संबंधित अदालतों में पेशी के दौरान उनपर जानलेवा हमला हो सकता है। इसलिए उनकी पूरी सुरक्षा करने या उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराने का आदेश दिया जाए।
कोर्ट ने पूछा कि किस आधार पर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा न होने की आशंका है। या कुछ ऐसे कारण हों, जिससे सुरक्षा के लिए आदेश दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट का ध्यान याचियों के हलफनामों में उन तथ्यों की ओर आकृष्ट कराया, जिनमें उमर व अली ने अपने मरहूम पिता व चाचा की आपराधिक छवि का हवाला दिया है।
संड ने कहा कि दोनों याचियों के हलफनामे में उनके पिता अतीक अहमद व चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ की आपराधिक छवि और आतंक का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि कैसे वे दोनों अपराध के दलदल में धंसते चले गए और उनका कितना आतंक कायम था।
इसके साथ ही उन्होंने याचिका के साथ संलग्न हलफनामे में शपथकर्ता की एक गलती को दर्शाते हुए कहा कि सरसरी तौर पर तैयार कराए गए हलफनामों से स्पष्ट है कि याचियों की आशंका काल्पनिक है। इस पर उमर व अली के वकीलों ने उसे टाइप की गलती बताया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचियों को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का समय प्रदान करते हुए याचिकाओं को सुनवाई के लिए 12 जुलाई को पेश करने का निर्देश दिया।