ऋषभ चौरसिया/लखनऊः डोसेटैक्सल(Docetaxel) एक प्रमुख कीमोथेरेपी ड्रग है, जो कैंसर के इलाज में प्रयोग होती है. यह एक टैक्सेन क्लास की दवा है जो कैंसर को रोकने और इसके फैलाव को कम करने में मदद करती है. डोसेटैक्सल को अक्सर स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर और पेट के कैंसर जैसे कैंसर के इलाज में प्रयोग किया जाता है.यह दवा शरीर के कोशिकाओं की विकास और वृद्धि को रोककर कैंसर को नष्ट करने में मदद करती है.इसके अलावा, इस दवा के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं.
कैंसर के इलाज में प्रयोग होने वाली कीमोथेरेपी ड्रग डोसेटैक्सल के साइड इफेक्ट्स को नैनो तकनीक से कम किया जा सकता है.यह खुलासा केजीएमयू के रेस्पेरेटरी विभाग के डॉ. अजय वर्मा के शोध में हुआ है.अजय वर्मा को इसके लिए सम्मानित भी किया गया है.उनका यह शोध वैक्सीन जर्नल में भी छप चुका है और इससे लंग कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज में आसानी होगी.
कम उम्र के युवा भी इस बीमारी की चपेट में
प्रो. अजय वर्मा ने बताया कि उन्होंने पहले चूहों पर शोध किया था.उनके शोध के परिणामों के आधार पर, पांच कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों का ब्लड सेम्पल लेकर जांच की गई, जिसके नतीजे सकारात्मक रहे थे.जबकि, प्रो. अजय वर्मा ने बताया कि लंग कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है.पहले लंग कैंसर अधिक उम्र में होता था, लेकिन धूम्रपान और प्रदूषण की वजह से अब कम उम्र के युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.
स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा
डॉ.अजय वर्मा के अनुसार, नैनो तकनीक के प्रयोग से कीमोथेरेपी दवा Docetaxel को कैंसर सेल्स पर ही निश्चित रूप से प्रभावी बनाया जा सकेगा, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.इससे मरीजों का इलाज और भी सुधारित हो सकता है.उन्होंने बताया कि फेफड़ों के कैंसर की डायग्नोसिस में समय लगता है, क्योंकि इसके लक्षण टीबी और अन्य फेफड़ों की बीमारियों से मिलते-जुलते हैं.इसके कारण बीमारी की पहचान में देर होती है और मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है.इसके चलते, लंग कैंसर के मरीजों की सर्जरी अक्सर संभव नहीं होती है.ऐसे में मरीज का इलाज कीमोथेरेपी के जरिये किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : January 1, 2024, 10:36 IST