Monday, July 8, 2024
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अब कोई मतलब नहीं रह जाता है… सुप्रीम कोर्ट ने आद‍िपुरुष के न‍िर्माताओं की याच‍िका पर यह क्‍यों कहा


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिंदी फिल्म आदिपुरुष के निर्माताओं के खिलाफ विभिन्न हाईकोर्ट में कार्यवाही बंदकर दी, जो हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित थी और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोपों का सामना करना पड़ा था. फ‍िल्‍म के न‍िर्माताओं ने अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की थी.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने फिल्म के खिलाफ लंबित कार्यवाही को निरर्थक प्रैक्‍ट‍िस करार दिया है. न्यायमूर्ति कौल ने कहा क‍ि ये सभी मामले अब बंद होने चाहिए, ये सभी हाईकोर्ट के समक्ष अनावश्यक कार्यवाही हैं. कोर्ट ने कहा क‍ि फिल्म रिलीज हो चुकी है. विभिन्न अदालतों में दायर फिल्म से संबंधित सभी कार्यवाही का अब कोई मतलब नहीं रह जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सभी मामले अब बंद होने चाहिए. यह हाईकोर्ट के समक्ष अनावश्यक कार्यवाही हैं.

कोर्ट ने कहा क‍ि यह भी ध्यान देने के बाद कि फिल्म उचित प्रमाणीकरण के बाद रिलीज हुई थी और अब मामलों को बंद कर दिया जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा क‍ि उसी फीचर फिल्म पर पहले पारित किए गए हमारे आदेश के मद्देनजर, हमारा विचार है कि विभिन्न अदालतों के समक्ष इसके खिलाफ सभी कार्यवाही एक व्यर्थ प्रैक्‍ट‍िस है. इस प्रकार, हम संबंधित विषय में ऐसी कार्यवाही को बंद करना उचित समझते हैं. फिल्म को प्रमाणन के साथ रिलीज किया गया था. इससे मामले का पटाक्षेप हो जाना चाहिए.

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फिल्म आदिपुरुष अपनी रिलीज के बाद से ही मुकदमेबाजी में फंस गई है और समाज की कड़ी आपत्ति के कारण निर्माताओं को कुछ दृश्यों और संवादों में बदलाव भी करना पड़ा है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में आदिपुरुष के निर्माताओं के खिलाफ विभिन्न हाईकोर्ट में आदेशों और कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. उस समय, न्यायालय ने स्क्रीनिंग के लिए फिल्म के प्रमाणन को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी. एक संक्षिप्त, लेकिन कड़े शब्दों वाले आदेश में कोर्ट ने सिनेमाई स्वतंत्रता पर जोर दिया था.

कोर्ट ने कहा था क‍ि हम यहां यह मान सकते हैं कि सिनेमैटोग्राफिक चित्रण मूल सामग्री के साथ खिलवाड़ करते हैं, किस हद तक वहां अनुमति है. इस अदालत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत प्रत्येक व्यक्ति की संवेदनाओं के लिए हस्तक्षेप करना संभव नहीं है. इस अदालत के लिए ये कोई मायने नहीं रखते हैं प्रमाणन की अपील पर सुनवाई करें और बैठें. अगर कोई अपीलीय प्राधिकारी के फैसले से असंतुष्ट है तो वे कानून के तहत उपाय अपना सकते हैं. इस बीच, आदिपुरुष के पीछे की प्रोडक्शन कंपनी टी-सीरीज ने भी फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ विभिन्न हाईकोर्ट में आदेशों और कार्यवाही को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

शीर्ष अदालत के समक्ष मुख्य याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के को चुनौती दी गई थी, जिसके द्वारा हाईकोर्ट ने कुछ कड़ी टिप्पणियों के बाद फिल्म के निर्माताओं को तलब किया था.

Tags: Adipurush, Supreme Court



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