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नई दिल्ली. मौसम विभाग की चेतावनी मिलने के बाद गेंहू के उत्पादन को लेकर किसान के साथ-साथ सरकार भी चिंतित है. इस साल अनुमान लगाया जा रहा है कि उम्मीद से कहीं अधिक गर्मी पड़ने वाली है, जिसके चलते गेहूं के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. सर्दियों में बारिश की कमी ने भारत के उत्तरी राज्यों के कुछ हिस्सों में तापमान बढ़ा दिया है, जहां गेहूं की अच्छी पैदावार होती है. इस भारी नुकसान से बचने के लिए भारत सरकार तापमान के प्रभाव का आकलन करने के लिए अधिकारियों की एक पैनल का गठन किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने तीन तरह के गेहूं की बीज को विकसित किया है, जो बहुत जल्द खिलेगा और सर्दी के मौसम के खत्म होते-होते फसल पूरी हो जाएगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया “बीट-द-हीट” समाधान के तहत बुवाई के समय को आगे बढ़ाना है. गेहूं आमतौर पर 140-145 दिनों की फसल है, जो ज्यादातर नवंबर में लगाई जाती है – पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में नवंबर महीने के मध्य से पहले (धान, कपास और सोयाबीन की कटाई के बाद) और उत्तर प्रदेश में दूसरी छमाही और बिहार में गन्ना और धान के कटने बाद गेहूं की खेती शुरू की जाती है.
यदि बुवाई को 20 अक्टूबर के आसपास शुरू किया जा सकता है, तो फसल किसी भी तरह से अधिक झुलसा देने वाली गर्मी के संपर्क में नहीं आएगी और गेहूं पर गर्मी का कोई असर नहीं पड़ेगा, जिससे उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. साथ ही मार्च के तीसरे सप्ताह तक अनाज भरने का काम भी पूरा हो सकता है. हालांकि समाधान बताना आसान है पर इसको जमीन पर उतारना मुश्किल भी है. नवंबर की शुरुआत से पहले बोए गए गेहूं के फूल आने का खतरा रहेगा, जो भीषण ठंड के चलते मर सकता है.
वहीं इस समस्या से निजात पाने के लिए, IARI के वैज्ञानिकों ने गेहूं की किस्मों को एक विशेष तरीके से विकसित किया है, जिसके चलते सर्दियों में कम तापमान होने के कारण भी गेहूं के फूल पर कोई असर नहीं होगा. ऐसे में 20-25 अक्टूबर में बोई जाने वाली फसल 100-110 दिनों में ही शीर्ष पर आएगी. यानी कि फरवरी महीने के मध्य तक गेहूं की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाएगी. IARI के वैज्ञानिकों ने तीन किस्में विकसित की हैं, जिनमें से सभी जीनों को शामिल किया गया है.
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Tags: Weather, Wheat crop
FIRST PUBLISHED : February 22, 2023, 09:06 IST
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