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मोदी सरकार के फैसलों के साथ नजर आने वाले जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोग अब केंद्र सरकार से इतने नाराज हो गए हैं कि उन्होंने सड़क पर उतरने और आंदोलन करने की धमकी दे दी है। रविवार को श्रीनगर में आयोजित गुज्जर महापंचायत में कहा गया कि अगर सरकार प्रस्तावित अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयेक और वन संरक्षण कानून को वापस नहीं लेती है तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। इस समुदाय का कहना है कि केंद्र सरकार नया कानून बनाकर उनके आरक्षण के अधिकारों की छीनना चाहती है और उनके हिस्से के आरक्षण को वोट बैंक के लिए दूसरों में बांट देना चाहती है।
मोदी सरकार के साथ रहा है गुज्जर बकरवाल समुदाय
जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की दिशा में सरकार कदम बढ़ा चुकी है। जम्मू-कश्मीर एसटी आदेश (संशोधन) विधेयक – 2023 को कानूनी अमलीजामा पहनाने के खिलाफ गुज्जर बकरवाल समुदाय लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। उसे इस बात की भी चिंता है कि कहीं पहाड़ियों समुदाय के वोटबैंक के चक्कर में भाजपा उन्हें खुद से दूर ना कर दें? बता दें कि मोदी सरकार के ज्यादातर फैसलों में गुज्जर बकरवाल समुदाय को पुरजोर समर्थन रहता है। इसके अलावा इस समुदाय से भाजपा को वोट भी खूब मिलते हैं। वहीं इस बार नए परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में एसटी के लिए आरक्षित सीटें भी बढ़ाकर 9 कर दी गई हैं।
कौन हैं गुज्जर और बकरवाल?
मामला भले ही जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बकरवालों का हो लेकिन हिंदू गुज्जर भी उनके साथ खड़े नजर आते हैं। जम्मू-कश्मीर में आबादी का एक बड़ा तबका गुज्जर और बकरवाल समुदाय से आता है। इस समुदाय का पेशा जानवरों का पालना है। बकरवाल समुदाय के लगभग 3 लाख परिवार जम्मू-कश्मीर में रहते हैं। बताया जाता है कि गुज्जर बकरवाल मूल रूप से राजपूत हैं। हालांकि कुछ शताब्दी पहले बड़ी आबादी ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था। इसके बाद बाद वे अलग-अलग संप्रदायों गुज्जर और बकरवाल में बंट गए। 1991 में उन्हें एसटी का दर्जा दिया गया था। उन्हें राज्य की नौकरियों में 10 फीसदी और केंद्र में 7 फीसदी का आरक्षण मिलता है।
हिंदू गुज्जरों से दिखती है एकता
बकरवाल समुदाय भले ही मुस्लिम हो लेकिन हिंदू गुज्जरों के साथ इनकी एकता नजर आती है। हिंदू गुज्जर इन्हें अपने ही समुदाय का मानता है। इसी वजह से गुज्जर और बकरवाल समुदाय के हितों के लिए हिंदू गुज्जर भी खड़े रहते हैं। बीएसपी के सांसद मालूक नागर ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, आज 14 करोड़ हिंदू गुज्जर जम्मू-कश्मीर के गुज्जरों के साथ खड़े हैं। हम प्रधानमंत्री मोदी से दरखास्त करते हैं कि वे हमारे समुदाय को एक उपहार दें। हमारा आरक्षण ना छीनें और पहले से बने कानून के साथ छेड़छाड़ ना करें।
बता दें कि जम्मू-कश्मरी के पहाड़ी समुदाय के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं। गुज्जर और बकरवालों के विरोध के चलते ही 2002 में अटल सराकर ने पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा देने की मांग खारिज कर दी थी। परिसीमन में आरक्षित सीटें बढ़ने के बाद यह मांग फिर जोर पकड़ने लगी। इसके बाद मोदी सरकार संसद में विधेयक ले आई और इसी को लेकर गुज्जर बकरवाल समुदाय प्रदर्शन कर रहा है। गुज्जर बकरवाल मुस्लिम समुदाय से हैं जबकि पहाड़ी भाषी में सभी शामिल हैं।
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