नई दिल्ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. समलैंगिक युगलों के गोद लेने के अधिकारों का विरोध करते हुए बाल अधिकार निकाय ने कहा है कि समान लिंग वाले माता-पिता द्वारा पाले गए बच्चों की पारंपरिक लिंग रोल मॉडल के प्रति सीमित पहुंच हो सकती है.
याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग करते हुए आयोग ने कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम समान-लिंग वाले युगलों द्वारा बच्चे गोद लिए जाने को मान्यता नहीं देते. याचिका में कहा गया है, ‘समान लिंग वाले माता-पिता की पारंपरिक लिंग रोल मॉडल के प्रति सीमित पहुंच हो सकती है और इसलिए, बच्चों की पहुंच सीमित होगी तथा उनके समग्र व्यक्तित्व विकास पर असर पड़ेगा.’
समलैंगिक माता-पिता को बच्चा गोद देना खतरनाक
इसमें समलैंगिक माता-पिता द्वारा बच्चा गोद लिए जाने पर किए गए अध्ययन का उल्लेख किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि ऐसा बच्चा सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दोनों रूप से प्रभावित होता है. याचिका में कहा गया है, ‘समान लिंग वाले जोड़ों को बच्चे गोद लेने की अनुमति देना बच्चों को खतरे में डालने जैसा होता है.’
पांच जजों की पीठ करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ मंगलवार से देश में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Same Sex Marriage, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : April 18, 2023, 05:45 IST