पीयूष पाठक/अलवर. आपने कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश यानी वीक ऑफ मिलने की बात तो सुनी होगी, लेकिन अब टाइगर भी सप्ताह में एक दिन का अवकाश मना सकेंगे. राजस्थान के अलवर जिला स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधियों पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी. इस कारण बाघ-बघेरे बिना किसी व्यवधान के जंगल में विचरण कर सकेंगे. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए ने पहली बार टाइगर रिजर्व में सप्ताह मेें एक दिन पर्यटन गतिविधियों पर पूरी तरह अवकाश रखने का निर्णय किया है. इसी क्रम में बाघ परियोजना सरिस्का में सप्ताह के हर बुधवार को पर्यटन गतिविधियों पर पाबंदी रहेगी. सरिस्का प्रशासन ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया.
बाघ परियेाजना सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने मंगलवार की शाम आदेश जारी कर बताया कि एनटीसीए की तकनीकी समिति की इसी वर्ष 3 जनवरी को हुई बैठक में टाइगर रिजर्वों में पर्यटन गतिविधियों को बंद कर एक दिवस साप्ताहिक रखने का निर्णय किया गया था. इन आदेशों के पालना में राज्य सरकार ने बीते 12 जून को इस संबंध में निर्देश दिए थे. इस पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान जयपुर की ओर से 13 जून को जारी आदेशों की पालना में सरिस्का टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र में प्रत्येक माह के प्रत्येक बुधवार को पर्यटन समिति गतिविधियां बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं.
वन्यजीवों को होगा यह लाभ
मॉनसून के दौरान सरिस्का टाइगर रिजर्व में दो पर्यटन रूट पर पर्यटन गतिविधियां बंद है, लेकिन पाण्डुपोल मार्ग पर पर्यटन सफारी की अनुमति है. इससे मॉनसून के दौरान जंगल में पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह थम नहीं सकी हैं. मॉनसूनकाल वन्यजीवों का प्रजनन काल माना जाता है. इस दौरान जंगल में किसी प्रकार की गतिविधियों से वन्यजीवों के प्रजनन में खलल पडती है. इसका बाघ, बघेरों की वंश वृद्धि पर असर पडता है. मगर अब पर्यटन गतिविधि एक दिन पूरी तरह बंद रहने से वन्यजीवों के प्रजनन में खलल नहीं पड़ेगा.
सरिस्का बंद हुआ तो जिप्सी अलवर के बफर जोन में आई
इन दिनों सरिस्का में दो मुख्य रूटों पर पर्यटन गतिविधि बंद होने से वहां सफारी में चलने वाली जिप्सियां अब अलवर बफर जोन की ओर रूख कर गई हैं. सरिस्का से करीब 15 जिप्सी अलवर बफर में आ चुकी हैं. यह जिप्सी संचालक तीन महीने यहां रह कर रोजगार करेंगे. करीब चार जिप्सी अलवर बफर में पहले से हैं.
बता दें कि, अलवर बफर जोन में दो पर्यटन रूट हैं, इनमें एक बाला किला व दूसरा बारा लिवारी रूट है. इसमें बाला किला रूट पर सफारी में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है और सुबह 9 बजे से शाम चार बजे तक पर्यटकों को प्रवेश दिया जाता है. इसमें छह पर्यटकों का प्रवेश शुल्क 1,942 रुपये लगते हैं. वहीं, बारा लिवारी रूट पर सफारी में साढ़े तीन घंटे लगते हैं. इस प्रवेश शुल्क 6,732 रुपये है.
.
Tags: Alwar News, Local18, Rajasthan news in hindi, Tiger reserve
FIRST PUBLISHED : July 05, 2023, 09:39 IST