Saturday, December 14, 2024
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अभी और सोएंगे विक्रम-प्रज्ञान! चंद्रयान पर आया बड़ा अपडेट, जानें अब कब जगेंगे?


नई दिल्ली: मिशन मून यानी चंद्रयान-3 को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. चांद पर सो रहे विक्रम और प्रज्ञान अभी और आराम करेंगे. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने का कार्यक्रम फिलहाल एक दिन के लिए टाल दिया गया है. इसका मतलब है कि आज भी विक्रम और प्रज्ञान नहीं जगेंगे और एक दिन और आराम से सोएंगे. दरअसल, इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने का कार्यक्रम आज यानी 22 सितंबर को एक दिन के लिए टाल गिया है. अब शनिवार यानी 23 सितंबर को चंद्रयान-3 के प्रज्ञान और विक्रम को जगाने की कोशिश होगी.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेस अप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश देसाइ ने कहा कि पहले हमने 22 सितंबर की शाम को रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम को फिर से एक्टिव करने की योजना बनाई थी, मगर कुछ कारणों से अब हम इसे कल यानी 23 सितंबर को करेंगे. बता दें कि मून मिशन के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब 23 सितंबर को नींद से जगने के लिए तैयार हैं. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उस स्थान पर सफलतापूर्वक उतरे थे, जिसे अब ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ के नाम से जाना जाता है.

चांद पर एक बार फिर टिकी सबकी निगाहें! प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाएगा ISRO, मिल सकती है बड़ी सफलता

चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक प्रयोग करने के बाद इस महीने की शुरुआत में इसरो द्वारा रोवर और लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था. रोवर प्रज्ञान को 2 सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था, उसके बाद 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था. तब से ही दोनों चांद पर चैन की नींद सो रहे हैं. इसरो अगर चंद्रमा पर सूर्योदय होते ही लैंडर और रोवर को फिर से सक्रिय कर देता है तो चंद्रयान-3 के पेलोड द्वारा एक बार फिर से प्रयोग किये जा सकेंगे.

अब तक कितना चल पाया है प्रज्ञान
मिशन चंद्रयान-3 के तहत चांद पर मौजूद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने कई लूनर यानी चंद्र प्रयोगों को अंजाम दिया. प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर 100 मीटर से अधिक की दूरी तय की, जिससे दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह में सल्फर (एस) की उपस्थिति की पुष्टि हुई. वहीं, विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में निकट-सतह चंद्र प्लाज्मा वातावरण का अभूतपूर्व माप भी किया. इसरो ने शुरुआत में रोवर के लिए 300-350 मीटर की दूरी तय करने की योजना बनाई थी. हालाकि, कुछ कारणों से रोवर अब तक केवल 105 मीटर ही आगे बढ़ पाया है. इसके बावजूद, मिशन ने अपने उद्देश्यों को पार कर लिया है. विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर हॉप परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो भविष्य के चंद्रमा मिशन और मानव अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

इसरो कर रहा एक्टिव करने का प्रयास
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र, जहां लैंडर और रोवर दोनों स्थित हैं, पर सूर्य की रोशनी फिर से आने और उनके सौर पैनल के जल्द ही चार्ज होने की उम्मीद है. इसरो अब लैंडर और रोवर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने और इन्हें सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है. इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि हमने लैंडर और रोवर दोनों को ‘स्लीप मोड’ पर डाल दिया है क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जायेगा. बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय हो रहा होगा और हमें उम्मीद है कि सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने की कोशिश करेंगे.

एक्टिव होने पर और मिलेंगे डेटा
देसाई ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बीते दिन कहा था कि अगर हमारी किस्मत अच्छी रही, तो हमारे लैंडर और रोवर दोनों सक्रिय हो जाएंगे और हमें कुछ और प्रायोगिक डेटा मिलेंगे, जो चंद्रमा की सतह की आगे की जांच के लिए हमारे लिए उपयोगी होंगे. हम 22 सितंबर से होने वाली गतिविधि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने और कुछ और उपयोगी डेटा प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं. चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है.

इसरो को रोवर और लैंडर से उम्मीद
लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था. इसरो को उम्मीद है कि जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय होगा तो ये फिर सक्रिय हो जाएंगे और वहां प्रयोग तथा अध्ययन करना जारी रखेंगे. इसरो ने चार सितंबर को कहा था, ‘सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा. उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है.’ इसरो ने कहा था कि पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है. भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था. भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है. (इनपुट भाषा से भी)

Tags: Chandrayaan-3, ISRO



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