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भारत पिछले अगस्त से कतर में हिरासत में लिए गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों के मुद्दे को “उच्च प्राथमिकता” दे रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि उनकी जल्द स्वदेश वापसी के लिए भारत हर प्रयास कर रहा है। पूर्व आठ नौसानिक दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। दाहरा ग्लोबल ओमान वायु सेना के एक अधिकारी के स्वामित्व वाली निजी फर्म है। यह फर्म कतर की सेना को ट्रेनिंग देने के अलावा अन्य सेवाएं प्रदान करती है। हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि पूर्व नौसैनिकों को किन आरोपों के तहत हिरासत में लिया गया है।
रिपोर्टों के अनुसार, उनकी जमानत याचिकाओं को कतर के अधिकारियों ने आठ बार खारिज कर दिया है और हाल ही में उनकी नजरबंदी को एक और महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। इन सभी को पिछले साल 30 अगस्त को हिरासत में लिया गया था और एकांत कारावास में रखा गया है। बागची ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि सरकार इस मामले पर पूरी तरह से विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, “हम इस मामले को उच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। हमारे दूतावास [दोहा में] द्वारा मामले के समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी हो सके। हमारा दूतावास कांसुलर एक्सेस की मांग कर रहा है। मुझे लगता है कि एक और रिक्वेस्ट पेंडिंग है। यह जानने की कोशिश की जा रही है कि हमारे नागरिक किस हाल में हैं। उनके परिवारों के साथ मीटिंग कराए जाने को लेकर बातचीत जारी है।”
भारतीय अधिकारियों को कुछ मौकों पर आठ पूर्व नौसैनिकों तक कांसुलर एक्सेस दिया गया है, और दोहा व भारत से उनके कुछ रिश्तेदारों को मिलने की अनुमति दी गई है। हिरासत में लिए गए पुरुषों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक वकील भी भारतीय अधिकारियों से मिला है। जनवरी में तीसरी बार कांसुलर एक्सेस दिया गया था।
आठ लोगों को हिरासत में लेने के कारणों पर भारत या कतर की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, उनमें से कुछ अत्यधिक बड़े नौसेना अधिकारी रहे हैं जिन्होंने प्रमुख युद्धपोतों की कमान संभाली है। कतर भारत के साथ मजबूत रक्षा संबंध बनाने वाले पहले पश्चिम एशियाई देशों में से एक था और इस मामले पर इसकी चुप्पी ने विशेषज्ञों को चकित कर दिया है।
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