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भाजपा ने राज्यसभा की 14 सीटों के लिए रविवार को उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। बंगाल से यूपी तक घोषित किए इन नामों में भाजपा ने सुधांशु त्रिवेदी को छोड़कर ज्यादातर नए चेहरों को ही शामिल किया है। इस तरह पार्टी ने कई समीकरणों को साधा है। जातीय समीकरणों से लेकर क्षेत्रीय भावनाओं तक ख्याल रखा गया है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में फायदा उठाने के लिए भी अलग-अलग समुदायों को संदेश दिया गया है। जैसे मुथरा सीट से कई बार जीत चुके चौधरी तेजवीर सिंह को राज्यसभा भेजा जाएगा। वह जाट समुदाय से आते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें राज्यसभा भेजना बिरादरी को एक संदेश देने की कोशिश है।
यह फैसला तब हुआ है, जब भाजपा के यूपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी जाट ही हैं। इसके अलावा रायबरेली सीट पर लोकसभा चुनाव और मौर्य समाज को साधने के लिहाज से भी भाजपा ने अहम फैसला लिया है। 2022 में रायबरेली की ही ऊंचाहार सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके अमरपाल मौर्य जिले में अच्छा प्रभाव रखते हैं। जिले में ठाकुर, ब्राह्मण, यादव और मौर्य समाज की अच्छी खासी आबादी है। यही वजह थी कि एक बार स्वामी प्रसाद मौर्य भी यहां से चुने गए थे और फिर उन्होंने अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य को भी यहां से लड़ाया था।
अब भाजपा ने अमरपाल मौर्य को राज्यसभा भेजकर रायबरेली में मौर्य समाज को संदेश दिया है। माना जा रहा है कि इससे पार्टी लोकसभा इलेक्शन में फायदा उठाने की कोशिश करेगी, जहां से सोनिया गांधी लगातार चुनी जाती रही हैं। चर्चा है कि इस बार सोनिया गांधी लोकसभा चुनाव में न उतरें। ऐसा हुआ तो कांग्रेस की संभावनाओं पर इससे असर होगा और भाजपा चाहती है कि इस बार फील्डिंग मजबूत करके चुनावी मैच यहां भी जीत लिया जाए। पार्टी पहले ही बगल की अमेठी सीट पर जीत हासिल कर चुकी है। ऐसे में कांग्रेस के लिए अपने एकमात्र बचे गढ़ को बचाने की चुनौती होगी।
इस फैसले से भाजपा ने अकसर आक्रामक हमले करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को भी जवाब दिया है। पहले केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाया गया और अब अमरपाल मौर्य राज्यसभा पहुंच जाएंगे। केशव मौर्य लगातार प्रदेश के नंबर दो के नेता के रूप में बने हुए हैं। 43 वर्षीय अमरपाल मौर्य प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं और उनका दोनों जिलों में अच्छा असर रहा है। संघ से भी उनके करीबी संबंध रहे हैं और एक दौर में वह आरएसएस के प्रचारक के तौर पर हरियाणा में भी काम कर चुके हैं।