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गोरखपुर में कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काटने के दौरान अमरमणि व उनकी पत्नी मधुमणि ने जेल में कोई काम यानी श्रम नहीं किया था। जिससे उन्हें एक भी रुपया पारिश्रमिक नहीं मिला है। वहीं अमरमणि ने 18 साल 7 माह तो मधुमणि ने 17 साल 9 माह की अपरिहार सजा जेल में पूरी की है। उसके बाद उनकी बाकी की सजा माफ कर समय पूर्व रिहाई शुक्रवार को हुई।
दरअसल, सजायाफ्ता कैदियों से कोई न कोई काम कराया जाता है। जिसका उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है, जो उनके खाते में जमा होता है। लेकिन दोनों सजा का ज्यादातर समय मेडिकल कालेज में रहे। स्वास्थ्य खराब रहा इस नाते जब वह जेल में भी कभी कभार रहते तो डाक्टरों की सलाह पर उनसे काम नहीं लिया जाता था। लिहाजा उन्हें एक भी रुपये का पारिश्रमिक गोरखपुर जेल में नहीं मिला।
मिल गई रिहाई फिर भी मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज नहीं हुए पूर्व मंत्री अमरमणि और मधुमणि, ये है कारण
गोरखपुर में 10 साल में सिर्फ 16 महीने जेल में रहे अमरमणि
जेल सूत्रों के मुताबिक मधुमणि चार दिसंबर, 2008 को हरिद्वार की जेल से गोरखपुर जेल स्थानांतरित होकर आई थीं, जबकि अमरमणि 13 मार्च, 2012 को यहां आए थे। जेल जाने के बाद दोनों बीमार हो गए। उसके बाद 27 फरवरी, 2013 को अमरमणि को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। कुछ दिन बाद ही 13 मार्च, 2013 को मधुमणि भी मेडिकल कॉलेज में पहुंच गईं। तब से दोनों पति-पत्नी मेडिकल कॉलेज में ही इलाज करा रहे थे। दस साल में सिर्फ 16 महीने ही मणि दम्पति जेल में रहा।
इलाज के नाम पर आराम का मामला कई बार तूल पकड़ा वर्ष 2015 में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग के चिकित्सक डॉ. आरडी रमन की निगरानी में भर्ती थे। वादिनी निधि शुक्ला ने आपत्ति जताते हुए कोर्ट में शिकायत की थी। इस पर कोर्ट ने मेडिकल कालेज प्रशासन से बीमारी व उपचार विवरण मांगा। तत्कालीन कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएन शुक्ला ने जवाब नहीं भेजा। इस पर कोर्ट ने तत्कालीन प्राचार्य डा. आरपी शर्मा, कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. बीएन शुक्ला व डॉ. आरडी रमन को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया था। सख्ती के बाद प्राचार्य को महानिदेशक चिकित्सा कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया।
डॉ. बीएन शुक्ला को महराजगंज व डॉ. आरडी रमन को जिला अस्पताल गोरखपुर भेज दिया गया। वर्तमान में डॉ. बीएन शुक्ला नेहरू चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। इस मामले के बाद अमरमणि कुछ दिन के लिए जेल गए थे। वहीं जब आक्सीजन कांड सामने आया और बीआरडी में देशभर की मीडिया पहुंच गई थी तब भी अमरमणि कुछ दिन के लिए जेल चले गए थे। महीने में कुछ दिन के लिए जेल जाते और फिर बीआरडी लौट आते थे।
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