
[ad_1]
कुल मिला कर नाटो की तरफ से यूक्रेन को शामिल करने की कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखी। नाटो के इस रुख पर यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि नाटो नेताओं की ओर से टाइम टेबल की भी जानकारी न देना ‘बेतुका’ है। हालांकि राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जब नाटो नेताओं से आमने-सामने मुलाकात की तो बड़े-बड़े आश्वासन मिले। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि ‘यूक्रेन’ नाटो में है। नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि बुधवार को वह बराबरी से मिले हैं, लेकिन भविष्य में सहयोगी की तरह मिलेंगे।
यूक्रेन को लगा झटका
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि यूक्रेन सही दिशा में बढ़ रहा है। ब्रिटेन के रक्षामंत्री बेन वालेस ने कहा कि शिखर सम्मेलन से नाटो को एक सांस्कृतिक स्वीकृति मिल गई है। कोई भी देश यह नहीं पूछ रहा कि क्या यूक्रेन को इसमें शामिल होना चाहिए, सब बस पूछ रहे हैं कि कब होना चाहिए। जी-7 देशों के नेताओं ने यूक्रेन के लिए सैन्य और आर्थिक समर्थन के एक नए पैकेज पर सहमत होने का आश्वासन दिया है। इसमें एयर डिफेंस, लंबी दूरी की मिसाइलें, अधिक प्रशिक्षण और खुफिया जानकारी शामिल है। जिसे जेलेंस्की एक महत्वपूर्ण जीत मानते हैं।
हालांकि हर ओर से मिल रहे पॉजिटिव रिस्पॉन्स के बीच बेन वालेस ने यूक्रेन को झटका देने वाला बयान दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यूक्रेन को पहले से जो समर्थन मिला है उसके लिए और ज्यादा आभार व्यक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को उन घरेलू राजनीतिक दबावों को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास करना चाहिए जो देशों खासकर अमेरिका को सैन्य सहायता देनें में बाधक हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका या ब्रिटेन शॉपिंग वेबसाइट अमेजन की शाखा नहीं है, जहां हथियारों की लिस्ट लेकर पहुंचा जाए और डिमांड की जाए।
ऋषि सुनक ने दी सफाई
यह टिप्पणी इतनी गैर-राजनयिक थी, कि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि यूक्रेन हमेशा आभारी रहा है। वहीं जब जेलेंस्की से प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर सवाल पूछा गया तो वह हैरान दिखे। उन्होंने वहां मौजूद अपने रक्षा सचिव को बेन वॉलेस को फोन कर उनका मतलब जानने को कहा। हालांकि वालेस ने गलती से ही इस युद्ध के दिलचस्प क्षण पर प्रकाश डाला है। लगभग डेढ़ साल से चल रहे युद्ध में जेलेंस्की लगातार पश्चिम से और बड़े पैमाने पर हथियारों को मांगते रहे हैं। जेलेंस्की के बयानों ने हमेशा यूक्रेन के असंतोष को दिखाया है। इससे ऐसा लग रहा है कि पश्चिमी देश हथियार देते-देते थक गए हैं और आने वाले समय में दुनिया की पॉलिटिक्स में बड़ा बदलाव दिखेगा।
[ad_2]
Source link