पूरी दुनिया को अपनी अकड़ दिखाने वाला चीन इस वक्त काफी बेचैन है। एक तरफ कोरोना ने उसका जीना हराम कर रखा है, तो वहीं दूसरी तरफ उसके विरोधी देश भी उसे घेरना की तैयारी तेज कर चुके हैं। इसी सिलसिले में जापान और अमेरिका ने घोषणा की है कि वे अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करेंगे। इसके तहत हाल ही में बनाई गई मरीन यूनिट को और ज्यादा जासूसी क्षमता के साथ जापान में तैनात किया जाएगा। ये मसुद्री सैनिक एंटी-शिप मिसाइलें दागने में भी सक्षम होंगे।
12वीं समुद्री रेजिमेंट में होगा बदलाव
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जापानी विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा, रक्षा मंत्री हमादा यासुकाज़ू के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 12वीं समुद्री रेजिमेंट को फिर से डिजाइन किया जाएगा। लॉयड ने कहा, ”हम आर्टिलरी रेजीमेंट को ज्यादा घातक, तेज और ज्यादा ताकतवर बनाने के लिए इसमें बदलाव कर रहे हैं।”
चीन को कड़ा संदेश
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और जापान की यह संयुक्त घोषणा चीन को कड़ा संदेश देने के लिए है। साथ ही, दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया संबंधों को मजबूत करना है। यह घोषणा ठीक उसी समय की गई है जब जापान के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले हैं। योजना के मुताबिक अमेरिका की रिडिजाइन की गई मरीन यूनिट को जापान के ओकिनावा बेस पर तैनात किया जाएगा।
मरीन यूनिट ओकिनावा में तैनात होगा
बताया जा रहा है कि चीन के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इस मरीन यूनिट को ओकिनावा में तैनात किया जाएगा। ओकिनावा प्रशांत महासागर में जापान का एक अभेद्य किला है। ओकिनावा की भू-रणनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि ताइवान उसके बहुत करीब है, जिस पर चीन हमला करने की तैयारी कर रहा है। जापान के ओकिनावा बेस पर 25,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। इसके अलावा यहां दो दर्जन से ज्यादा सैन्य ठिकाने हैं। जापान में अमेरिका का करीब 70 फीसदी सैन्य अड्डा ओकिनावा में ही है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित हुआ ध्यान
ओकिनावा का एक इलाका ताइवान से महज 70 मील की दूरी पर है। इस तरह का सैन्य बदलाव अमेरिका ने कई दशकों के बाद किया है, जो चीन के बढ़ते खतरे का संकेत देता है। एक अधिकारी ने कहा कि इस बदलाव से पता चलता है कि अमेरिका अपना ध्यान खाड़ी युद्ध से हटाकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित कर रहा है। इससे पहले एक युद्धाभ्यास में अनुमान लगाया गया था कि ओकिनावा बेस चीन के साथ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।