हाइलाइट्स
कौन है सुभाष गुप्ता जो अमेरिका में शानदार आर्ट गैलरी का मालिक था, पहले पिता के साथ मिलकर भी उसने भारतीय मूर्तियों और पुरानी पेंटिंग्स को स्मगल किया
उसके लोग भारत में खासकर दक्षिण भारत में मंदिरों में मूर्तियों को चिन्हित करते और उन्हें चोरी करके बाहर भेज देते फिर सुभाष गुप्ता उनके फर्जी कागज तैयार कराता
इंटरनेशनल आर्ट जगत में उसका खासा दबदबा था, दुनियाभर की गैलरीज और म्युजियम से रहता था संपर्क, जिन्हें वैध कहके ये सब बेचता था
क्या आप सोच सकते हैं केवल एक शख्स ने पिछले कुछ दशकों में भारत की 2000 से ज्यादा प्राचीन मूर्तियां, धरोहर और बेशकीमती पुरानी पेंटिंग्स को देश से स्मगल करके बाहर बेच दिया. अगर कीमत की बात करें तो उनकी कुल कीमत 1000 करोड़ से कहीं ज्यादा मानी जा रही है. ये शख्स अमेरिका के मैनहट्टन में शानदार आर्ट गैलरी का मालिक है. शानोशौकत से रहता है. लग्जरी लाइफ जीता है. संयोग से कुछ सालों पहले वह हत्थे चढ़ा और अब तमिलनाडु की जेल में है.
कहा जाता है कि पिछले कुछ सालों में देश से जहां से भी एंटीक पीसे और बहुमूल्य प्राचीन सामान गायब हुए या चोरी हो गए. वो इसी शख्स की करतूत है. पहले उन सामानों को बहुत ही चालाकी के साथ सुरक्षित तरीके से अमेरिका या ब्रिटेन पहुंचाया गया. वहां इनके फर्जी कागजात तैयार हुए और फिर इन्हें दुनियाभर में म्युजियम या गैलरीज में मोटे दामों में बेच दिया गया. करीब 74 साल का हो रहा ये शख्स सुभाष कपूर है.
आप कहेंगे कि ये प्राचीन धरोहरें और मूर्तियां, पेंटिंग्स इतनी ऊंची कीमत में कैसे बिकती हैं. दरअसल दुनिया के बड़े पैसे वालों और आलीशान होटलों के साथ गैलरी का शगल है कि वो ये बहुमूल्य सामान खरीदकर उन्हें सजावट के तौर पर पेश करते हैं. जो सामान जितना एंटीक यानि प्राचीन होगा अंतरराष्ट्रीय आर्ट बाजार में उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी.
दुनिया के आर्ट बाजार का जाना माना नाम था वह
सुभाष कपूर कुछ सालों पहले तक दुनियाभर में म्युजियम्स, आर्ट कलेक्टर्स और गैलरीज के बीच बहुत सम्मानित नाम था. किसी को भनक तक नहीं थी कि वो ऐसे काम भी करता होगा. अमेरिका में उसकी पार्टियों में म्युजियम और आर्ट कलेक्शन से जुड़े एक से एक बड़े लोग पहुंचते थे. जाम खनकते थे. सौदे होते थे. अपनी इमेज को बेहतर करने के लिए ये सुभाष कपूर नाम का शख्स कुछ एंटीक कला दीर्घाओं और म्युजियम को डोनेट भी कर देता था.
प्राचीन मूर्ति स्मगलर अमेरिकी नागरिक सुभाष कपूर पुलिस की गिरफ्त में (प्राइवेट ब्लॉग)
न्यूयार्क के म्युजियम में सुभाष कपूर ने 70 सामान दिए
कम से कम न्यू यार्क के मेट्रोपालिटन म्यजियम ऑफ आर्ट्स के रिकार्ड्स में एक दो नहीं बल्कि 70 से ज्यादा ऐसे अमूल्य सामान हैं, जो भारत से चोरी करके स्मगल करके भेजे गए हैं. उनके कैटेलॉग्स में ये शामिल हैं. रिकॉर्ड कहते हैं कि सुभाष कपूर ने इसे म्युजियम को दान में दिया है लेकिन लोग बताते हैं कि रिकार्ड्स में बेशक ये दान लिखा हो लेकिन इसके पीछे भी डीलिंग होती है.
इस शख्स डांसिंग शिवा की कांसे की प्रसिद्ध प्रतिमा भी बेची
जो मूर्तियां और प्राचीन धरोहरें सुभाष कपूर नाम के इस शख्स ने दुनिया भर में बेचीं, उसमें कांसे की बनी प्रसिद्ध नृत्य करती भगवान शिव की प्रसिद्ध प्रतिमा, दूसरी सदी में बनी चंद्र देव की मूर्ति और आठवीं सदी की कई बहुमूल्य प्रतिमाएं शामिल हैं, इसमें 200 से 300 साल पहले बनाई गईं पेंटिंग्स भी हैं, जिसके दाम विदेशों में करोड़ों में हैं. आप चकरा जाएंगे जब आपको पता चलेगा कि कुछ दशकों में भारत से जितनी प्रतिमाएं बाहर गईं उन सभी की कड़ियां इसी शख्स से जुड़ती हैं.
मैनहट्टन में बड़ी आर्ट गैलरी चलाता था
दरअसल सुभाष कपूर की कंपनी मैन हट्टन में एक बड़ी आर्ट गैलरी चलाती है. इस गैलरी का नाम है- आर्ट गैलरी ऑफ द पास्ट. ये गैलरी अब बंद है. यहीं से वह पूरी दुनिया के आर्ट और एंटीक बाजार में सामान सप्लाई करता था. लंबे समय से ऐसा कर रहा था. शक इसलिए नहीं होता था, क्योंकि वह चोरी हुईं इन सभी धरोहरों, प्रतिमाओं, मूर्तियों और पेंटिंग्स के फर्जी कागजात इस तरह से तैयार कराती था कि लगता था कि सारा कारोबार साफ सुथरा है.
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कांस्य की ये प्रसिद्ध डांसिग शिवा प्रतिमा सुभाष कपूर ने आस्ट्रेलिया के एक म्युजियम को बेची थी, जहां से इसे वापस भारत लाने की प्रक्रिया चल रही है. (प्राइवेट ब्लॉग)
फिर उसके खिलाफ जाल बिछना शुरू हुआ
कुछ साल पहले भारत, अमेरिका और कई देशों की पुलिस उसे लेकर सतर्क हुई. जाल बिछाया जाने लगा. उसके लेन देन और दस्तावेजों को गुपचुप चेक करने का काम शुरू हुआ तो असलियत खुलने लगी. अमेरिका में सुभाष कपूर सफेदपोश जिंदगी जीता है. वह अमेरिकी नागरिक है. उसके पिता भी यही कारोबार करते थे, जो भारत से जाकर वहां बस गए थे. उसकी बहन भी इसी तरह के संदिग्ध एक्सपोर्ट और इंपोर्ट की एक कंपनी चलाती है.
ब्रिटेन की पार्टनर भी जेल में
इस पूरे काम में उसका ब्रिटेन का एक पार्टनर भी था, जिसका नाम है डोरिस वेनर, उसके निधन के बाद उसकी बेटी नैंसी वेनर इस काम में सुभाष की कंपनी में पार्टनर थी. नैंसी इन दिनों ब्रिटेन की जेल में है. सुभाष को भनक भी नहीं है कि उसके लिए कई देशों में अलर्ट किया जा चुका है. वह अपने इसी कारोबार के सिलसिले में जब वह जर्मनी पहुंचा तो उसे फ्रेंकफुर्त हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया. ये 30 अक्टूबर 2011 में हुआ.
वर्ष 2012 में भारत में प्रत्यर्पित और फिर कोर्ट ने सुनाई सजा
इसके बाद वर्ष 2012 में उसे भारत में प्रत्यर्पित किया गया. कई साल यहां मुकदमा चलता रहा. आखिरकार उसे 01 नवंबर 2022 को 10 साल की सजा सुनाई गई. फिलहाल सुभाष कपूर त्रिची सेंट्रल जेल में है. उसके खिलाफ एक मामला अमेरिकी अदालत में चल रहा है. वहां की होमलैंड सेक्युरिटी इनवेस्टिगेशन ने अपनी जांच में पाया कि कपूर 2622 एंटीक्स की स्मगलिंग और उन्हें जालसाजी करके बेचने के मामले में शामिल है, जिनकी कुल कीमत 1165 करोड़ रुपए होती है. कोशिश हो रही है कि उसे अमेरिका ले जाकर वहां भी उस पर मुकदमा चलाया जाए.
कितना बड़ा था उसका स्मगलिंग रैकेट
माना जाता है कि सुभाष कपूर का इंटरनेशनल स्मगलिंग रैकेट 100 मिलियन डॉलर का है लेकिन भारत में बगैर किसी बड़े नेटवर्क के जिस तरह से वह यहां के प्राचीन धरोहरों की चोरी और स्मगलिंग को अंजाम देता रहा है, उसमें उसके साथ जरूर कोई ऐसा प्रभावशाली शख्स जरूर जुड़ा है, जो भारत में मूर्तियों, पेंटिंग्स और धरोहरों को यहां से आराम से ले जाने के लिए क्लीयरेंस दिलाता था. हालांकि सुभाष कपूर के साथ तमिलनाडु की अदालत ने वहां के भी 05 लोगों को 10 साल की सजा सुनाई है लेकिन ये लगता है कि कोई बड़ा शख्स इसमें और जुड़ा हुआ है.
अमेरिका में कोई सुभाष कपूर पर शक नहीं करता था
न्यूयार्क टाइम्स में 23 जुलाई 2015 को इस मामले में एक बड़ी रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें बताया कि सुभाष कपूर पर कोई शक नहीं करता था. कैसे वह जाल में फंसा और वह पकड़ा गया. सुभाष करीब 35 सालों से गैलरी खोलकर इस बिजनेस को चला रहा था. माना जाता है पहले उसके पिता भी यही करते थे. आर्ट बाजार में वर्ष 2009 तक उसकी बहुत तारीफ होती थी. कई मैगजीन में उसके इंटरव्यू छप चुके थे.
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Tags: ART, Crime News, Smuggling
FIRST PUBLISHED : March 16, 2023, 18:09 IST