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रिपोर्ट-पीयूष पाठक
अलवर. राजस्थान वीर सपूतों की भूमि है. यहां के कण कण से शौर्यगाथाएं जुड़ी हुई हैं. इन गाथाओं के गवाह यहां बने किले और महल हैं. अब इसमें एक नया नाम जुड़ने जा रहा है. अलवर में हथियारों का एक म्यूजियम बनाया जा रहा है. इसमें एक से बढ़कर एक हथियार रखे जाएंगे.
अलवर जिले के पर्यटन केंद्रों की सूची में एक और नया नाम जुड़ने वाला है. अरावली की वादियों में स्थित बाला किला में जल्द ही वेपन म्यूजियम शुरू होने वाला है. इसमें 1940 से 1950 तक के हथियार रखे गए हैं. इनमें टर्किश मशीन गन से लेकर टोपीदार बंदूक, तोप एवं तलवारें शामिल हैं. ये म्यूजियम पुरातत्व विभाग के अंडर में रहेगा और इस हफ्ते पर्यटकों के लिए खुल जाएगा.
30 किलो की बंदूक
बाला के किले में हथियारों का संग्रहालय बनकर तैयार है. इसमें शाही जमाने के हथियार रखे गए हैं. यहां लोगों को 15 किलो की मशीनगन देखने मिलेगी. ये 110 इंच लंबी है. तलवारों की इतनी वैरायटी कि देखने वाला भी चकरा जाए. एक से तीन किलो तक भारी और 80 से 100 इंच तक लंबी. वेपन म्यूजियम में टोपीदार दोनाली बंदूक भी रखी गई है जिसका वजन 30 किलो है. इसकी लंबाई 95 से 230 इंच तक है. आज के जमाने में इतनी भारी बंदूक देखने नहीं मिलती. म्यूजियम में गोले और कारतूस भी हैं.
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सागौन की लकड़ी के बॉक्स
प्रदेश के पहले वेपन म्यूजियम में हथियार रखने वाले बॉक्स सागौन की लकड़ी से बनाए गए हैं. इन्हें अलवर के कारीगरों ने ही तैयार किया है. बॉक्स में कांच और लाइट लगायी गयी हैं ताकि दूर से ही लोग आसानी से इसमें रखे वेपन देख सकें.
सरिस्का जाते वक्त रास्ते में रुकें
बाला का किला सरिस्का के रास्ते में पड़ता है. अरावली की वादियों में बना ये किला सरिस्का के बफर रेंज के रूट में आता है. टाइगर सफारी के लिए आने वाले पर्यटक ये किला देखने जरूर आते हैं. अब उन्हें वेपन म्यूजियम भी देखने मिलेगा.
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Tags: Alwar News, Life style, Rajasthan Tourism Department
FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 16:16 IST
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