Monday, March 10, 2025
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अरुण योगीराज ने बनाई, 150-200 किलो वजन; चंपत राय ने बताया कितनी दिव्य है रामलला की मूर्ति


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मैसूरु के शिल्पकार अरुण योगीराज की बनाई गई रामलला की नई मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है। मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को यह जानकारी दी। प्रतिमा में रामलला को 5 साल के बच्चे के रूप में दिखाया गया है, जो धनुष और तीर पकड़े हुए हैं। यह मूर्ति भगवान श्री राम का मार्मिक प्रतीक है। यह मूर्ति पैर से लेकर माथे तक 51 इंच तक फैली हुई है। राय ने बताया, ‘धार्मिक अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो रहे हैं और 21 जनवरी तक चलेंगे। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी वह करीब 150-200 किलोग्राम की हो सकती है। रामलला की खड़ी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। 18 जनवरी को इस मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में अपने स्थान पर स्थापित किया जाएगा और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी।’

18 को रामलला का गर्भगृह में प्रवेश, चंपत राय ने बताया- ऐसी है प्रतिमा, 23 से आम लोगों को दर्शन

चंपत राय ने कहा कि रामलला की वर्तमान मूर्ति को भी नए मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होना है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दोपहर 1 बजे तक समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 7 अधिवास होते हैं और कम से कम 3 अधिवास अभ्यास में होते हैं। 121 आचार्यों की ओर से अनुष्ठान कराया जाएगा। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ अनुष्ठान की सभी कार्यवाही की देखरेख, समन्वय और संचालन करेंगे। काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित प्रमुख आचार्य होंगे।’ उन्होंने कहा कि 23 जनवरी की सुबह से सभी के लिए राम मंदिर खुला है, मतलब जो भी आएंगे वे भगवान राम के दर्शन कर सकते हैं।

मूर्तिकार अरुण योगीराज के बारे में जानें

रामलला की मूर्ति तराशने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से तीन मूर्तिकार चुने गए थे। जानेमाने मूर्तिकार अरुण योगीराज इससे पहले भी कई प्रसिद्ध मूर्तियां बना चुके हैं। केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति उन्होंने ही तराशी है। योगीराज के पास MBA की डिग्री है। वह अपनी पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उन्होंने 2008 में मूर्तियां गढ़ने की परंपरा को जारी रखने के लिए कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी थी। अपने दिवंगत पिता बीएस योगीराज शिल्पी से मूर्तिकला की कला विरासत में पाकर, अरुण अब तक 1 हजार से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं।



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