Home Life Style अलसी के डंठल से बनी जैकेट, ठंड में गर्माहट, गर्मी में ठंडक, नहीं आएगी बदबू

अलसी के डंठल से बनी जैकेट, ठंड में गर्माहट, गर्मी में ठंडक, नहीं आएगी बदबू

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अलसी के डंठल से बनी जैकेट, ठंड में गर्माहट, गर्मी में ठंडक, नहीं आएगी बदबू

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रामकुमार नायक/रायपुरः एयर कंडीशनर यानी AC के बारे में कौन नहीं जानता है? खासकर इसका इस्तेमाल सर्दियों में गर्माहट के लिए और गर्मी के दिनों में ठंडक बनाए रखने के लिए किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसा कपड़ा भी है. जिसे पहनने से सर्दियों में गर्माहट और गर्मी के दिनों में ठंडक का ऐहसास दिलाती है. हम बात कर रहे हैं, अलसी के डंठल से बने कपड़ों की. अलसी के डंठल से बने कपड़े की बात सुनकर हैरान हो गए होंगे. लेकिन यह बात बिल्कुल सही है.

दरअसल छत्तीसगढ़ के एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय यानी इंदिरा गांधी कृष्ण विश्वविद्यालय और कृषि महाविद्यालय बेमेतरा के वैज्ञानिकों ने पहली बार अलसी के डंठल से कपड़े बना दिए हैं. अलसी के डंठल के रेशों को गूंथकर कपड़ा बनाया जा रहा जिसकी विशेषता भी गजब की है.

पसीने को सोककर यह कर देता है बाहर
अलसी के बने कपड़ों की की खासियत के बारे में बताते हुए कृषि महाविद्यालय बेमेतरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केपी वर्मा ने बताया कि यह कपड़ा अलसी के डंठल ने बना हुआ है. गर्मी के दिनों में इस कपड़े को पहनने से ठंडकता मिलती है और सर्दियों में पहनने से गर्माहट का एहसास होता है. यह पसीने को सोक कर बाहर करता रहता है. इसलिए पसीने से बदबू भी नहीं आती है.

एंटीबैक्टीरियल होने की वजह से बैक्टीरिया से बचाव करता है. इस कपड़े के पहने रहने के दौरान जितनी गर्मी पड़ेगी उतनी ठंडकता मिलेगी. कॉटन कपड़े से ज्यादा मजबूत होती है. कृषि महाविद्यालय बेमेतरा में महिलाएं अलसी के डंठल से फूल जैकेट, मोदी जैकेट के अलावा अन्य कपड़े बनाती है.

जैकेट की कीमत 5000 रुपए
80% लीलन के साथ प्योर अलसी से बने हाफ जैकेट की कीमत 5000 रुपए है. वहीं 40 लीलन और कॉटन के साथ बना जैकेट 3500 रुपए में मिल जाएगी. इसको तैयार करने के लिए अलसी के फल काटकर उसका दाना ले लिया जाता है. बचे डंठल में 20 % रेशा होता है. इसी रेशा से चरखा की सहायता से धागा निकाला जाता है फिर धागों से कपड़े तैयार होते हैं. यह कपड़ा महिलाएं अपने हाथों से बनाती हैं साथ ही मशीनों की सहायता से भी कपडे तैयार की जाती है. महिलाओं के द्वारा बनाए गए कपड़े ज्यादा मजबूत होता है. यह कपड़ा अहिंसक होता है यानी इस कपड़े को बनाने में कोसा कीड़ा जैसे किसी जीव की हत्या नहीं होती है लिहाजा जैन समुदाय के लोग भी इसे खूब पसंद करते हैं.

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