
नई दिल्ली :
सार्वजनिक परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए कड़े कानून बनाने वाला असम देश का पहला राज्य बन सकता है. आज विधानसभा में पेश किए गए एक विधेयक में, राज्य सरकार ने न्यूनतम पांच साल की जेल की सजा और 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव रखा है. असम सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) विधेयक, 2024 के तहत जिन लोगों पर मुकदमा चलाया जा सकता है, उनका दायरा व्यापक है. इसमें न केवल परीक्षार्थी, बल्कि परीक्षा आयोजित करने के प्रभारी अधिकारी भी शामिल हैं…
सरकार ने आज मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि, विधेयक में पांच से दस साल की कैद की सजा और 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव है. नकल करने वाले परीक्षार्थी के लिए सज़ा कम कठोर है – तीन साल की जेल और ₹ 1 लाख जुर्माना, लेकिन जुर्माना न भरने पर दो साल की अतिरिक्त जेल होगी.
परीक्षा पेपर लीक से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए अलग अदालतें नामित की जाएंगी. इस नए कानून के तहत एक बार दोषी ठहराए जाने पर कोई व्यक्ति दो साल तक किसी भी सार्वजनिक परीक्षा में शामिल नहीं हो सकता है. कदाचार में दोषी पाए जाने वाले संस्थानों पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाया जा सकता है. शिकायतों की जांच पुलिस अधिकारियों द्वारा की जाएगी जो उपाधीक्षक स्तर से नीचे के नहीं होंगे.
प्रस्तावित विधेयक में परीक्षा आयोजित करने में शामिल लोगों की ओर से संभावित गलत कार्यों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है:
- प्रश्न पत्र को लीक करना
- प्रश्न पत्र खरीदना
- प्रश्न पत्र बेचना
- प्रश्न पत्र प्रिंट करना
- प्रश्न पत्र हल करना
- प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनधिकृत तरीके से परीक्षार्थी की सहायता करना
- गैर-निर्धारित केंद्रों में परीक्षा देना
- गैर-निर्धारित प्रिंटिंग प्रेस में प्रश्नपत्र या खाली उत्तर पुस्तिकाएं छापना
ऐसे में इसके लिए 10 साल तक जेल की सज़ा और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है. हालांकि असम नकल के मामले में बिहार या झारखंड जितना कुख्यात नहीं है, 2022 में तीसरी और चौथी कक्षा के पदों के लिए परीक्षा के दौरान राज्य के कई जिलों के कुछ हिस्सों में सेलफोन इंटरनेट चार घंटे के लिए बंद कर दिया गया था.