Thursday, February 6, 2025
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अस्‍थमा मरीजों के फेफड़ों पर प्रदूषण का अटैक, बढ़ रही एलर्जी, डॉ. प्रवेश ने बताए बचाव के 7 उपाय


हाइलाइट्स

हवा की गुणवत्‍ता खराब होने से दिल्‍ली में रहना मुश्किल हो गया है.
प्रदूषण की वजह से रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियां लोगों को घेर रही हैं.

Air Pollution in Hindi: दिल्‍ली में प्रदूषण स्‍तर बढ़ने के बाद ग्रैप-2 लागू कर दिया गया है. हवा की गुणवत्‍ता के बहुत खराब होने के चलते राजधानी में रह रहे अस्‍थमा या दमा के मरीजों के लिए हालात काफी खराब हो गए हैं, यही वजह है कि अस्‍पतालों की इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक में रेस्पिरेटरी संबंधी परेशानियों के मरीजों की संख्‍या तेजी से बढ़ना शुरू हो गई है. स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो हवा में मौजूद प्रदूषण तत्‍व सीधे मरीजों के फेफड़ों पर अटैक कर रहे हैं और सांस नली में एलर्जी पैदा कर रहे हैं.

दिल्‍ली के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ ट्यूबरक्‍यूलोसिस एंड रेस्पिरेटरी डिजीज में मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. प्रवेश यादव का कहना है कि मौजूदा समय में दिल्‍ली की एयर क्‍वालिटी बहुत खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है. ऐसी स्थिति में सामान्‍य लोगों को भी प्रदूषण से हेल्‍थ संबंधी दिक्‍कतें हो रही हैं, जबकि बेहद सेंसिट‍िव अस्‍थमा मरीजों के लिए तो यह स्‍मॉग और भी ज्‍यादा परेशानी पैदा करने वाला है.

एमएस डॉ. प्रवेश कहते हैं कि दिल्‍ली में रह रहे अस्‍थमा के मरीजों को अक्‍टूबर से लेकर दिसंबर मध्‍य तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है. अगर इस दौरान कुछ बातों का ध्‍यान रख लिया जाए तो प्रदूषण के बेहद खराब प्रभाव से बचा जा सकता है.

अस्‍थमा के मरीज इन 7 बातों का रखें ध्‍यान

. डॉ. कहते हैं कि अस्‍थमा या दमा से पीड़‍ित मरीज सुबह वॉक करने के लिए घर से बाहर न निकलें. इस समय में प्रदूषण का स्‍तर ज्‍यादा होता है, साथ ही वॉक के दौरान व्‍यक्ति के फेफड़े ज्‍यादा ऑक्‍सीजन भी खींचते हैं, जिसके चलते ज्‍यादा मात्रा में प्रदूषण तत्‍व शरीर के अंदर पहुंचेंगे.

. अगर आपके अंदर अस्‍थमा के लक्षण गहरे होते जा रहे हैं तो आप घर से निकलना बंद या बेहद कम कर दें. अगर जाना जरूरी है तो घर से एन 95 मास्‍क पहनकर ही बाहर निकलें.

. दिल्‍ली में प्रदूषण का स्‍तर बढ़ने पर परेशानी होने का इंतजार न करें. कोशिश करें कि डॉक्‍टर के पास समय से विजिट करते रहें और किसी भी आपात स्थिति से पहले अपना दमा मॉनिटर कराते रहें.

. अगर इन्‍हेलर लेते हैं तो नियमित रूप से इन्‍हेलर लें. डॉक्‍टर द्वारा प्रस्‍तावित दवाओं को भी समय से लेते रहें.

. अक्‍टूबर और नवंबर महीने में ह‍री सब्जियां और फल ज्‍यादा खाएं,
. पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीएं और खुद को हाइड्रेट रखें. शरीर में पानी की कमी न होने दें.

. खांसी या अस्‍थमा के लक्षण दिखाई देने पर खुद दवा न लें, डॉक्‍टर के पास दिखाने जाएं.

Tags: Delhi pollution, Health, Lifestyle, Trending news



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