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हाइलाइट्स
लगातार सीटिंग एंजाइम की मात्रा को 90 प्रतिशत तक घटा देती है और गुड कोलेस्ट्रॉल को 20 प्रतिशत तक कम कर देगी.
ऑफिस में लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का सहारा लें. चेयर पर पोजिशन को हर आधे घंटे पर बदलते रहें.
Sitting in chair more than two hours dangerous: पहले के जमाने में ज्यादातर कामों के लिए शारीरिक श्रम की जरूरत होती थी लेकिन आज ज्यादातर काम कंप्यूटर पर सिमटता जा रहा है. शारीरिक श्रम की जगह मशीनों ने ले ली है. ऐसे में इंसान का दिनचर्या शिथिल हो गया है. लोग 8 से 9 घंटे ऑफिस में चेयर पर बैठे रहते हैं. ऑफिस भी जाते हैं तो वाहन से जाते हैं. इसमें शारीरिक श्रम की कहीं जरूरत नहीं होती. लेकिन 8 से 9 घंटे में अगर 2 घंटे भी लगातार चेयर पर बैठे रहे तो यह सीटिंग शरीर के अस्थि-पंजर को हिलाकर रख देती है और आपके शरीर में इतनी तरह की बीमारियां लगा देंगी जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के मुताबिक दो घंटे से ज्यादा चेयर पर सीटिंग आपके पैरों में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को बंद कर देती है.
इन सब बातों का लब्बोलुआब यह है कि 2 घंटे से ज्यादा की सीटिंग आपके शरीर के पुर्जा-पुर्जा को हिला देगी और इससे डायबिटीज, हार्ट की बीमारियां सहित हड्डियों की कई बीमारियों को जन्म देगी. इन सारे सवालों का जवाब तलाशने के लिए न्यूज 18 ने अपोलो अस्पताल बेंगलुरु में चीफ क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. प्रियंका रोहतगी से बात की.
हर अंग शिथिल होने लगेंगे
डॉ. प्रियंका रोहतगी ने कहा कि रिसर्च के माध्यम से यह साबित हो चुका है कि दो घंटा की कुर्सी पर सीटिंग एक सिगरेट जितना नुकसानदेह है. यह पूरे शरीर के नसों में स्टीफनेस ला देता है जिससे हड्डियों के फ्रेक्चर होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. गर्दन और कमर दर्द तो सभी को दिखता है लेकिन इसके कई घातक परिणाम है. यहां तक कि फिटनेस में भारी कमी होगी और लंग्स की क्षमता भी कमजोर हो जाएगी. डॉ. प्रियंका ने कहा कि अगर आप कंप्यूटर पर लगातार एक ही पोज में काम कर रहे हैं तो आपके मसल्स से जो नर्व अटैच होता है, उसमें स्टीफनेस आ जाती है. नर्व के मूवमेंट में कमी आ जाने से गर्दन अकड़ जाती है. आईटी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को टनल सिंड्रोम हो जाता है. शरीर का नस-नस कमजोर होने लगता है. पूरे शरीर में स्टीफनेस आ जाती है. सारे बॉडी पार्टस में इंज्युरी होने का खतरा बढ़ जाता है. यानी हर अंग शिथिल होने लगेंगे.
फैटी लिवर डिजीज को बढ़ाता है
डॉ. प्रियंका ने बताया कि एक साथ दो घंटे तक चेयर पर बैठने से हमारे शरीर में मौजूद ऊर्जा का इस्तेमाल सही से नहीं हो पाता है. इससे मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है. मेटाबोलिज्म धीमा होने का मतलब है कि शरीर में पौष्टिक तत्वों की प्राप्ति तो हो गई लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हुआ. इस स्थिति में अतिरिक्त एनर्जी लिवर में जमा होने लगती है. डॉ. प्रियंका ने बताया कि लिवर हमारे शरीर की फैक्ट्री है. चूंकि हमारे शरीर में जो कई चीजें बन रही है, उसका सही से इस्तेमाल नहीं हो पाता है. इसलिए यह सब जब लिवर में जमा होने लगेगा तो इससे फैटी एसिड ऑक्सीडेशन, प्रोटीन ब्रेकडाउन, प्रोटीन सिंथेसिस का काम सही से नहीं हो पाएगा. इन सबसे बने अतिरिक्त ग्लूकोज या एनर्जी फैटी लिवर को बढ़ा देता है. इसलिए बिना शराब पीने वाले व्यक्तियों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज हो जाता है. उम्र के साथ-साथ शरीर में अपने आप मेटाबोलिज्म कमजोर होता है. इसमें अगर सीटिंग जॉब है तो यह और भी इन चीजों को बढ़ा देता है.
लंग्स की क्षमता में कमी और एंग्जाइटी
जब हम कंप्यूटर पर काम कर रहे होते हैं तो हमारा सारा फोकस सिस्टम पर होता है. इस स्थिति में लंग्स बहुत धीमे से काम करते हैं. यानी ब्रीदिंग कैपिसिटी कम होने लगती है. इससे लंग्स के काम करने की क्षमता अपने आप कम होने लगती है. औसतन लोग अपने लंग्स की आधी क्षमता का इस्तेमाल करते हैं. डॉ. प्रियंका ने बताया कि जब हम किसी अंग में जितनी क्षमता है, उसका उतना इस्तेमाल नहीं करेंगे तो धीरे-धीरे अपने आप उसकी क्षमता कम हो जाएगी.इससे लंग्स भी कमजोर होने लगते हैं. सीटिंग जॉब में शरीर में ज्यादा टॉक्सिन जमा होता है. क्योंकि इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता तो यह भी शरीर के कई अंगों में जाकर जमा होने लगता है. इससे हार्मोन का असंतुलन होने लगता है और कई तरह के स्ट्रेस हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. स्पाइल स्ट्रक्चर असंतुलित होने लगता है. यहां तक कि डिस्क, स्पाइन, नेक आदि में स्टीफनेस आने लगती है. इन सबके परिणामस्वरूप एंग्जाइटी ज्यादा होने लगती है. ऑवरऑल शरीर में फील गुड का एहसास नहीं होता है.
हार्ट डिजीज का जोखिम
डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि रिसर्च के मुताबिक 2 घंटे की लगातार सीटिंग फैट को तोड़ने वाले एंजाइम की मात्रा को 90 प्रतिशत तक घटा देगी और गुड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को 20 प्रतिशत तक कम कर देगी. वहीं इंसुलिन के प्रभावकारिता को भी 24 प्रतिशत तक नीचे गिरा देगी. इसका सीधा मतलब है कि हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ जाएगी. धमनियों में स्टीफनेस की आशंका बढ़ जाएगी. इंसुलिन का प्रभाव घटने से डायबिटीज का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. लगातार काम करने के बाद ब्रेन की क्षमता घटने लगती है.
इन सारी परेशानियों से बचे कैसे
डॉ. प्रियंका रोहतगी कहती हैं कि हम काम न करें, यह संभव नहीं है लेकिन काम करते हुए भी कुछ तरीकों से इन सारी खतरनाक बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी सीटिंग जॉब हो, एक घंटे में एक बार चेयर से जरूर उठ जाएं. अगर यह भी संभव न हो तो चेयर पर ही स्ट्रैचिंग एक्सरसाइज कर लें. लेकिन कम से कम दो घंटे में दो-तीन मिनट के लिए चेयर से जरूर उठ जाएं. हर घंटे पर दो-तीन मिनट की एक्सरसाइज कई बीमारियों के जोखिम को कम करेगी. हर रोज अगर सुबह में आधे घंटे के लिए भी फिजिकल एक्सरसाइज करें तो यह बेहतर होता है. सुबह की एक्सरसाइज सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है. कभी भी एक-दो घंटे लगातार चेयर पर न बैठें. कुछ न कुछ करते रहे. 80-20 का रूल फॉलो करें. इसमें 20 मिनट काम करें और 2 मिनट इधर-उधर करें.
ऑफिस में लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का सहारा लें. चेयर पर पोजिशन को हर आधे घंटे पर बदलते रहें. अगर हर घंटे पर चेयर से उठकर सिर्फ दो मिनट भी उठ जाएं और स्ट्रेचिंग करें तो यह भी बहुत फायदेमंद साबित होगा. इसके अलावा काम करने के दौरान जो चिप्स, बिस्कुट, पिज्जा, बर्गर खाते हैं, उनसे परहेज करें. हेल्दी डाइट लें. इनकी जगह छाछ पीएं या फ्रूट खाएं या नट्स लें. योगा और मेडिटेशन इसमें बहुत फायदेमंद है. यदि काम से ज्यादा परेशानी हो रही है तो न्यूट्रिशनिस्ट और योगा इंस्ट्रक्टर की सलाह लें. ऑफिस में चेयर पर काम के दौरान किस तरह की एक्सरसाइज करें इसके लिए अनुभवी इंस्ट्रक्टर से सलाह लें.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : March 30, 2023, 06:40 IST
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