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आईआईटी कानपुर अब 50 करोड़ से स्टार्टअप को विकसित करेगा। मेंटर, अत्याधुनिक लैब से लेकर फंड भी मुहैया कराएगा। संस्थान ने पहली बार स्टार्टअप के लिए अपने स्तर पर 50 करोड़ रुपये का फंड जमा किया है। मतलब, अब आईआईटी में इनोवेटिव आइडिया लेकर आने वाले युवा वैज्ञानिकों को फंड के लिए डीएसटी या किसी सरकारी योजना का इंतजार नहीं करना होगा।
आईआईटी कानपुर में 2000 में स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) की स्थापना हुई थी। जहां इनोवेटिव आइडिया रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करने के साथ रिसर्च के माध्यम से नई तकनीक व उत्पाद विकसित करने के साथ स्टार्टअप तैयार होता है। अभी तक आईआईटी डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, केंद्र व प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत स्टार्टअप को आमंत्रित कर रिसर्च के लिए फंड मुहैया कराता है। मगर अब संस्थान ने कारपस फंड से 50 करोड़ रुपये का अपना निवेश कोष बनाया है। सेंटर से जुड़े प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया कि इस साल संस्थान 50 करोड़ रुपये स्टार्टअप विकसित करने के लिए फंड के रूप में खर्च करेगा।
संस्थान में विकसित 50 से अधिक स्टार्टअप हुए कामयाब
आईआईटी में बने एसआईआईसी से 300 से अधिक स्टार्टअप विकसित हो चुके हैं। जिसमें 50 से अधिक ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनकी तकनीक व उत्पादों की मांग देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है।
ये हैं कुछ प्रमुख स्टार्टअप के उत्पाद
मास्क – डॉ. संदीप पाटिल का एन-95 मास्क देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पहना जाता है। कोविड संक्रमण में इस मास्क की सबसे अधिक मांग थी।
वेंटीलेटर – निखिल कुरेले व उनकी टीम ने कोविड संक्रमण के दौरान सिर्फ 90 दिन में सस्ता व प्रभावी वेंटीलेटर विकसित किया था। जिसका उपयोग सैकड़ों अस्पतालों में किया जा रहा है।
नैनो फर्टिलाइजर – अक्षय श्रीवास्तव व उनकी टीम ने नैनो फर्टिलाइजर विकसित किया है। जो पूरी तरह जैविक है। इसके प्रयोग से पानी की 35 फीसदी बचत और उत्पादन में 40 फीसदी की वृद्धि होती है। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य भी संतुलित रहता है।
ड्रोन – एंड्योर एयर ने कई ड्रोन विकसित किए हैं। जिसमें अलख प्रमुख है। जिसका उपयोग कई आपदाओं में किया जा चुका है। उत्तराखंड में टनल में फंसे लोगों व रास्ता देखना हो या फिर भूस्खलन के समय अलख का प्रयोग किया गया।