Home National आखिरी सांस तक… पहलगाम में दरिंदों के खूनी खेल की नि:शब्द कर देने वाली तस्वीर

आखिरी सांस तक… पहलगाम में दरिंदों के खूनी खेल की नि:शब्द कर देने वाली तस्वीर

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आखिरी सांस तक… पहलगाम में दरिंदों के खूनी खेल की नि:शब्द कर देने वाली तस्वीर

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सुनो न, बस एक बार मेरी बात सुन लो. कसम से फिर कुछ नहीं बोलूंगी. शादी के पहले फोन पर तुम कहते थे. हम शादी के बाद ऐसी जगह जाएंगे जहां चारों तरफ वादियां होंगी, उनमें मौजूद दरख्तों से गुलजार नजारा होगा. सामने दूर-दूर तक सिर्फ एक सूनापन होगा. एक खालीपन. जो तुम कहोगे मैं वो सुनूंगी. मैं जो कहूंगी वो तुम सुनोंगे. प्यार के अफसाने होंगे, नई जिंदगी के कुछ सपने हम उसी जगह बुन रहे होंगे. तुमने कहा था कि तुम वहां पर मेरी गोद पर सिर रखकर आराम करोगे. देखों न आंखें, खोलो जैसा तुम सोचते थे सबकुछ बिल्कुल वैसा ही. देखों, चारों ओर वादियां हैं, असंख्य पेड़ मौजूद हैं. हर तरफ खामोशी मगर तुम क्यों खामोश हो गए

उन्होंने इस पल का महीनों से सपना देखा था. शादी की सारी हलचल के बाद जब सारे रिश्तेदार विदा हो गए तब रिया और मुकेश (बदले हुए नाम) आखिरकार पहाड़ों की गोद में पहुंचे. धरती पर जन्नत कहीं है तो कश्मीर. इन्होंने पहलगाम को चुना. शांति से भरा, सुंदर और सुकून देने वाली वादी. यह उनका हनीमून था.एक नए सफर की शुरुआत. साथ जीने-मरने का वादा.

मुकेश को पहाड़ बहुत पसंद थे. वो हमेशा कहते,देखो ये पहाड़ कितने मजबूत होते हैं, तूफानों में भी नहीं डगमगाते. ठीक वैसा जैसा प्यार होना चाहिए.और आज, वो सच में उन पहाड़ों के बीच बैठे थे. रिया की गोद में मुकेश का सिर,उसकी आंखें बंद और चेहरे पर सुकून.फिर एक अजीब सी आवाज़ आई.ना वो पंछियों की थी,ना हवा की. वो चीखें थीं, गोलियों की आवाजें थीं. डर की आवाज़ें.

आतंक वहां आ चुका था. कुछ लोग हथियार लहराते हुए आए.उन्होंने नाम पूछे. नाम के आधार पर फ़ैसला किया कि किसे जीने देना है और किसे नहीं. मुकेश ने जब अपना नाम बताया, तो बस एक पल का सन्नाटा हुआ… फिर गोली चली.

रिया की आवाज़ निकल ही नहीं पाई. वो ज़मीन पर गिर पड़ी. तस्वीर में देख रहे हैं न. कैसे बेसुध मुकेश के बगल में पड़ी है. उसका खून रिया के हाथों में था. मुकेश की आंखें उसे देख रही थीं. डर नहीं था. बस माफ़ी थी.”माफ़ कर दो, उसने होठों से कहा. “नहीं…” रिया ने धीरे से कहा, “तुमने तो हमेशा साथ निभाने का वादा किया था.”

मुकेश ने हल्की सी मुस्कान दी,अब भी निभा रहा हूं. उसका हाथ रिया के हाथों में था… फिर धीरे-धीरे शांत हो गया. ठीक वैसे ही जैसे वो शांत पहाड़ जिनसे वो इतना प्यार करता था.

रिया अब भी वहीं बैठी है. आंसुओं का सैलाब मुकेश के शरीर से निकल रहे खून से मिल रहा है. इस बीच किसी ने उसकी तस्वीर खींच ली. इस दर्द का. इस लम्हे का. शायद जब लोग ये तस्वीर देखेंगे तो समझ पाएंगे कि क्या खो गया. सिर्फ एक इंसान नहीं. मुकेश के साथ कई जिंदगियां, प्यार और सपने सदा – सदा के लिए उजड़ गए.

NOTE – एक वीडियो में रिया वहां मौजूद लोगों से बात करती हुई दिखाई देती है. वो बता रही है कि पति के साथ भेलपुरी खा रही थी. तभी बंदूक लेकर कुछ लोग आए. नाम पूछा और मेरे पति को गोली मार दी. वहां मौजूद एक शख्स ढाढस बंधाते हुए कहता है कि बहन हम आपके साथ हैं. इसके बाद क्या हुआ, ये जानकारी नहीं मिली है.

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