Friday, April 18, 2025
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आखिर पूर्व सेना प्रमुख नरवणे की किताब में ऐसा क्या है, जिसकी समीक्षा कर रही भारतीय सेना?


नई दिल्ली: भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की किताब की अब समीक्षा हो रही है. भारतीय सेना अपने पूर्व प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के संस्मरण की समीक्षा कर रही है, जिसमें पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर रेचिन ला में चीनी पीएलए टैंकों और सैनिकों की आवाजाही के बाद 31 अगस्त, 2020 की रात को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उनकी बातचीत के विवरण का खुलासा किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सेना के पूर्व प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने अपने संस्मरण ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई बातचीत का खुलासा किया है. संस्मरण ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ के अंश समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा 18 दिसंबर को प्रकाशित किए गए थे. इस किताब के प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस को समीक्षा समाप्त होने तक पुस्तक के अंश या सॉफ्ट कॉपी साझा नहीं करने के लिए कहा गया है.

इस संस्मरण में दावा किया गया है कि इस पूरे अभ्यास में रक्षा मंत्रालय भी किसी स्तर पर पर शामिल था. अपने संस्मरण ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में नरवणे ने राजनाथ सिंह के निर्देश के साथ-साथ संवेदनशील स्थिति पर उस रात रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) के बीच फोन कॉल की झड़ी का भी जिक्र किया है. इस संस्मरण में 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य गतिरोध की जानकारी दी गई है, जिसमें गलवान घाटी झड़प और अग्निपथ योजना भी शामिल है. पहले यह किताब इसी महीने बाजार में आने वाली थी.

द इंडियन एक्सप्रेस ने जवाब के लिए जनरल नरवणे से संपर्क किया, मगर उन्होंने उन विशिष्ट सवालों का जवाब नहीं दिया कि क्या प्रकाशकों को पांडुलिपि सौंपने से पहले आधिकारिक मंजूरी ली गई थी या क्या सेना द्वारा की गई समीक्षा के कारण पुस्तक रिलीज में देरी हुई थी. जनरल नरवणे ने कहा, ‘मुझे जो करना था वह मैंने कर दिया है और पांडुलिपि कई महीने पहले प्रकाशकों को सौंप दी है. यह प्रकाशकों पर निर्भर है कि वे बताएं कि देरी हुई है या नहीं. वे ही संपर्क में हैं और उनसे मुझे सब कुछ बताने की उम्मीद नहीं की जाती है.

दरअसल, लद्दाख में गतिरोध पर विवरण के साथ जनरल नरवणे का संस्मरण ऐसे समय में आया है, जब भारत और चीन अभी भी एलएसी पर स्थिति को हल करने के लिए सैन्य और राजनयिक वार्ता कर रहे हैं. आखिरी डिसइंगेजमेंट सितंबर 2022 में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में हुआ था. भारतीय सैनिकों को पारंपरिक गश्त बिंदुओं तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है और देपसांग मैदानों और डेमचोक में पीएलए सैनिकों की उपस्थिति का मुद्दा बना हुआ है. पिछले महीने पीटीआई ने जनरल नरवणे की किताब के कुछ अंश उद्धृत किए थे, जिसमें उनके और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच 31 अगस्त, 2020 को हुए संवाद का जिक्र है.

किताब में क्या-क्या है
दरअसल, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर रेचिन ला पर्वतीय दर्रे में चीनी सेना द्वारा टैंक और सैनिकों को आगे बढ़ाए जाने से उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 31 अगस्त, 2020 की रात फैसला तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे पर छोड़ते हुए कहा था, ‘जो उचित समझो वो करो’. नरवणे ने कहा कि राजनाथ सिंह के फोन के बाद उनके दिमाग में सैकड़ों अलग-अलग विचार कौंध गए. उन्होंने लिखा है, ‘मैंने आरएम (रक्षा मंत्री) को स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया, जिन्होंने कहा कि वह रात लगभग साढ़े दस बजे तक मुझसे संपर्क करेंगे, जो उन्होंने किया.’

पूर्व सेना प्रमुक ने संस्मरण में और क्या लिखा
पूर्व सेना प्रमुख ने लिखा है, ‘उन्होंने (रक्षा मंत्री) कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से बात की है और यह पूरी तरह से एक सैन्य निर्णय है. ‘जो उचित समझो वो करो’.’ नरवणे ने कहा, ‘जिम्मेदारी अब पूरी तरह से मुझ पर थी. मैंने एक गहरी सांस ली और कुछ मिनटों के लिए चुपचाप बैठा रहा. दीवार पर लगी घड़ी की ‘टिक-टिक’ को छोड़कर सबकुछ शांत था.’ उन्होंने लिखा है, ‘एक दीवार पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का नक्शा था, दूसरी दीवार पर पूर्वी कमान का. वे अचिह्नित नक्शे थे, लेकिन जैसे ही मैंने उन्हें देखा, मैं प्रत्येक यूनिट तथा फॉर्मेशन के स्थान की कल्पना कर सकता था. हम हर तरह से तैयार थे, लेकिन क्या मैं वास्तव में युद्ध शुरू करना चाहता था?’ संस्मरण में जनरल नरवणे ने उस रात की अपनी विचार प्रक्रिया को रेखांकित किया है.

Tags: Army Chief



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