Home National आजम खान वाले जौहर ट्रस्ट से जमीन वापसी के सरकारी फैसले का यूनिवर्सिटी पर होगा क्या असर?

आजम खान वाले जौहर ट्रस्ट से जमीन वापसी के सरकारी फैसले का यूनिवर्सिटी पर होगा क्या असर?

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आजम खान वाले जौहर ट्रस्ट से जमीन वापसी के सरकारी फैसले का यूनिवर्सिटी पर होगा क्या असर?

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सीएम योगी की अध्‍यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आजम खान को भी तगड़ झटका लगा है। जौहर ट्रस्‍ट को दी गई जमीन वापस लेने का फैसला हुआ है। शिक्षा विभाग की 41181 वर्गफुट की यह जमीन  जौहर ट्रस्‍ट को 100 रुपए सालाना किराए पर 30 साल के लीज पर दी गई थी। इस फैसले के बाद जौहर विश्वविद्यालय को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा है कि जमीन वापस लेने के बाद जौहर विश्वविद्यालय का क्या होगा। वहां की पढ़ाई लिखाई, वहां के छात्रों के भविष्य को लेकर तमाम चर्चाएं सोशल मीडिया पर तैरने लगी थीं। 

कैबिनेट की बैठक में फैसला हुआ है कि जौहर ट्रस्ट को दी गई जमीन शिक्षा विभाग को वापस दी जाएगी। जौहर ट्रस्‍ट को लीज पर जमीन देने का फैसला  समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुआ था। आजम खान पर नियमों का उल्लंघन कर जमीन हासिल करने का आरोप लगा है। कहा गया है कि जौहर ट्रस्ट ने 30 वर्षों के लिए सरकार से लीज पर मिली जमीन की शर्तों का पालन नहीं किया है। ऐसे में योगी सरकार ने ट्रस्ट से जमीन वापस लेने का निर्णय लिया है। 

4 सदस्यीय जांच समिति की आख्या पर लिया गया निर्णय 

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को यह जमीन 30 वर्ष के लिए मात्र 100 रुपए वार्षिक की दर से पट्टे पर दिया गया था। अब इस जमीन को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। जौहर ट्रस्ट को दी गई भूमि से संबंधित पट्टा विलेख की शर्तों के उल्लंघन के संबंध में जिलाधिकारी रामपुर ने 4 सदस्यीय जांच समिति गठित की थी।

इस समिति ने जांच के बाद शासन को जो आख्या भेजी थी, उस पर विचार करने के बाद भूमि और भवन को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। 41181 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली इस भूमि का स्वामित्व राज्य सरकार (माध्यमिक शिक्षा विभाग) को दिया गया है।

जौहर ट्रस्ट की जमीन पर रामपुर पब्लिक स्कूल और सपा कार्यालय

जिस जमीन को वापस लेने का फैसला हुआ है उस पर इस समय आजम खान का रामपुर पब्लिक स्कूल और समाजवादी पार्टी का कार्यालय चल रहा है। आजम खान इस कार्यालय का हमेशा अपने कार्यालय की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं। यह जमीन जौहर विश्वविद्यालय से कई किलोमीटर दूर है। जौहर विश्वविद्यलय शहर के बाहर स्थित है जबकि यह जमीन शहर में ही है।

इस जमीन के वापस लेने से जौहर विश्वविद्यालय पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हालांकि जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी कुछ सरकारी जमीन को कब्जाने की शिकायतें सरकार के पास पहुंची हैं। उनकी भी पैमाइश हुई है। लेकिन उस पर कोई फैसला अभी तक नहीं हुआ है।

क्या है जौहर ट्रस्ट

आजम खान ने रामपुर में मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना की। अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय के रूप में इसे स्थापित किया। सपा सरकार में मंत्री रहने के दौरान उन्होंने इस यूनिवर्सिटी के नाम पर स्थानीय किसानों की जमीन का अधिग्रहण कराया। यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया, जिसका नाम मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रखा गया। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान हैं। उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा ट्रस्ट की सचिव हैं। जौहर यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए भी जमीन का अधिग्रहण कराया गया था। इसको लेकर ही शिकायतें और विवाद है।

आजम खान पर आरोप लगा है कि अपने ट्रस्ट के जरिए उन्होंने ग्रामीणों की जमीन पर जबरन कब्जा किया। यूनिवर्सिटी में जमीन को शामिल करने के लिए धन बल और बाहुबल दोनों का प्रयोग किए जाने की बात सामने आई। मामला वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के यूपी में सत्ता में आने के बाद गरमाया। सरकार की जांच में पता चला कि यूनिवर्सिटी को केवल साढ़े 12 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी। लेकिन, ट्रस्ट ने 173 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। सरकार ने इस अधिग्रहण को अवैध माना है।

भाजपा विधायक की शिकायत और शुरू हुई जांच

रामपुर नगर के भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की ओर से संचालित जौहर यूनिवर्सिटी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने अपने आरोप में कहा था कि यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है। राज्य सरकार की ओर से जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2005 में 12.50 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति दी।

इस अनुमति के साथ शर्तें भी लगाई गईं। इसमें कहा गया कि वह गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाएगी। चैरिटी का कार्य करेगी। विधायक ने आरोप लगाया कि जौहर ट्रस्ट शर्तों का अनुपालन नहीं कर रही है। तत्कालीन भाजपा नेता की शिकायत सरकार के पास पहुंची तो रामपुर प्रशासन को जांच का आदेश दिया गया था।

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