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हाइलाइट्स
हर साल वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है.
पारण का सही समय: कल, 2 मई, सुबह 05:40 बजे से सुबह 08:19 बजे के मध्य.
मोहिनी एकादशी व्रत से पाप मिटते हैं. धन और सौभाग्य बढ़ता है.
धर्आमज 1 मई दिन सोमवार को मोहिनी एकादशी व्रत है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. मोहिनी एकादशी व्रत रखने, भगवान विष्णु की पूजा करने और मोहिनी एकादशी व्रत कथा को सुनने से पाप मिटते हैं. धन और सौभाग्य बढ़ता है. मृत्यु के बाद व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जीवात्मा जन्म और मरण के चक्र से मुक्त होकर बैकुंठ में स्थान पाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि मोहिनी एकादशी व्रत के मुहूर्त, पूजा विधि और पारण समय के बारे में.
मोहिनी एकादशी 2023 मुहूर्त
वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 30 अप्रैल, रविवार, रात 08:28 बजे से
वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: आज, सोमवार, रात 10:09 बजे
रवि योग: आज, सुबह 05:41 बजे से शाम 05:51 बजे तक
मोहिनी एकादशी पर विष्णु पूजा मुहूर्त: आप प्रात:काल में सूर्योदय बाद से पूजा कर सकते हैं.
पारण का सही समय: कल, 2 मई, सुबह 05:40 बजे से सुबह 08:19 बजे के मध्य
भद्रा का समय: आज, सुबह 09:22 बजे से सुबह 10:09 बजे तक
मोहिनी एकादशी व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान करके पीले वस्त्र पहनें और सूर्य देव को जल से अर्घ्य दें. उसके बाद हाथ में जल लेकर मोहिनी एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प करें.
2. अब आप रवि योग में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित कर दें. उसके बाद पंचामृत से श्रीहरि का अभिषेक करें. फिर वस्त्र, यज्ञोपवीत, अक्षत्, हल्दी, चंदन, पीले फूल, माला, तुलसी के पत्ते, फल, धूप, दीप, पान का पत्ता, सुपारी आदि चढ़ाएं.
3. इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें. फिर धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. मोहिनी एकादशी व्रत कथा सुनें. उसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें. आरती के लिए घी के दीपक का उपयोग करें या मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु के दाएं तरफ घी का दीपक जलाएं.
4. विष्णु पूजा के बाद दिनभर भक्ति और भजन में समय व्यतीत करें. फलाहार पर रहें. शाम के समय में संध्या आरती करें. उसके बाद रात्रि में जागरण करें.
5. अगले दिन 2 मई को प्रात: स्नान ध्यान के बाद दान-दक्षिणा दें. फिर उचति समय में पारण करके व्रत को पूरा करें. यदि पारण के लिए भोजन नहीं बन पाया है तो तुलसी का पत्ता और गंगाजल मुह में डाल लें.
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FIRST PUBLISHED : May 01, 2023, 06:15 IST
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