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आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग होगी आज, जानें कैसे पड़ा नाम और क्या रहेगा काम

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आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग होगी आज, जानें कैसे पड़ा नाम और क्या रहेगा काम

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Aditya L1 will be launched today know how Aditya L1 got its name and what will be its function- India TV Hindi

Image Source : PTI
आदित्य एल 1 आज होगा लॉन्च

Aditya-L1 Mission: मिशन चंद्रयान 3 की सफलता के बाद आज भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो आदित्य एल 1 (Aditya-L1 Launch) को लॉन्च करने वाली है। यहा लॉन्चिंग 2 सितंबर की सुबह 11.50 बजे किया जाएगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। बता दें कि इस उपग्रह की लॉन्चिंग पर दुनियां की निगाहें टिकी हुई हैं। ऐसे में आदित्य एल 1 को लेकर मन में कई तरह के सवाल होंगे। बता दें कि आदित्य एल 1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचने में 128 दिन का समय लगेगा। सूर्य की कक्षा में पहुंचने के बाद आदित्य एल 1 सूर्य से जुड़ी अहम जानकारियों को इकट्ठा करेगा। 

15 लाख किमी तक करेगा सफर

आदित्य एल 1 सूरज पर निगरानी रखने के लिए धरती से स्पेस में भेजे जाने वाला पहला इंडियन स्पेस मिशन है। वैज्ञानिको के मुताबिक मिशन के तहत अलग-अलग तरह के डेटा को जुटाया जाएगा। साथ ही ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकेगी जिससे धरती को होने वाले नुकसान के बारे में पहले से ही अलर्ट किया जा सके। आदित्य एल1 मिशन का सबसे महत्वपूर्ण टूल है ‘सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’ (SUIT) है जिसे पुणे के इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) ने तैयार किया है। आईयूसीएए के वैज्ञानिक और मुख्य इंवेस्टिगेटर प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने पीटीआई भाषा से बात करते हुए बताया कि इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल 1 है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक का सफर कर जाएगा और सूरज का अध्ययन करेगा।

क्यों पड़ा आदित्य एल 1 नाम

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान 3 मिशन को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लैंड करा दिया है। अब इसरो जल्द Aditya-L1 को लॉन्च करने वाला है। इस बारे में बोलते हुए नासा की पूर्व वैज्ञानिक मिला मित्रा ने कहा कि इसरो का अगला मिशन आदित्य-एल1 है। आदित्य का अर्थ ही सूर्य है। इसलिए यह मिशन का काम सूर्य का निरीक्षण करना है। उन्होंने कहा, “एल-1 शब्द लैग्रैन्जियन है। बहुत सारे लैग्रैन्जियन बिंदु हैं जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की रेखा पर हैं। एल-1 भी पृथ्वी और सूर्य के बीच की रेखा है। यह बिंदु बहुत स्थिर है, क्योंकि सूर्य का गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण दोनों उस बिंदु पर पहुंचते हैं।”

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