[ad_1]
श्रीहरिकोटा. चंद्रयान-3 चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलता के साथ लैंड होने होने के बाद अब दुनिया की नजर भारत के आदित्य-एल1 मिशन पर है. आदित्य एल-1 को लैंग्रेंजियन बिन्दु 1 (एल1) तक पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा. इसरो आदित्य-एल1 के जरिए सूर्य के छिपे रहस्यों का पता लगाना चाहता है. आइये जानते हैं कि आदित्य एल-1, 15 लाख किलोमीटर का सफर तय कर क्या करेगा?
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिग के बाद भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है. इस सफलता के बाद इसरो के वैज्ञानिक अब सूर्य को लेकर अहम अध्ययन में जुट गए हैं और इसी को लेकर आदित्य एल1 मिशन शुरू किया गया है. इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है. आदित्य-L1 का प्रक्षेपण आज सुबह 11:50 बजे किया गया. आदित्य एल1 सूर्य की अदृश्य किरणों और सौर विस्फोट से निकली ऊर्जा के रहस्य सुलझाएगा.
कैसे पहुंचेगा सूर्य के करीब, और क्या-क्या करेगा
प्रारंभिक कक्षा: आदित्य-L1 को तय समय पर सफलता के साथ रवाना किया गया. अंतरिक्ष यान को प्रारंभ में पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
अण्डाकार कक्षा: फिर कक्षा को अधिक अण्डाकार बनाने वाली प्रक्रिया की जाएगी.
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकालना: अंतरिक्ष यान को प्रणोदन का उपयोग करके L1 बिंदु की ओर बढ़ाया जाएगा. जैसे ही अंतरिक्ष यान लैग्रेंज बिंदु की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल जाएगा.
क्रूज चरण: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव को छोड़ने के बाद, मिशन का क्रूज चरण शुरू होगा. इस चरण में अंतरिक्ष यान को उतारने की प्रक्रिया की जाती है.
हेलो ऑर्बिट: मिशन के अंतिम चरण में अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु (एल1) के चारों ओर एक बड़ी हेलो कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इस तरह से लॉन्चिंग और एल1 बिंदु के पास हेलो कक्षा में अंतरिक्ष यान की स्थापना में करीब चार महीने का वक्त गुजरेगा.
मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
भारत का सौर मिशन आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके गर्म होने की प्रक्रिया, तापमान, सौर विस्फोटों और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा.
मिशन के घटक कौन-कौन से हैं और वो क्या करेंगे?
आदित्य-एल1 सूर्य का गहराई से अध्ययन करने के लिए सात वैज्ञानिक पेलोड का एक सेट ले गया है. विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग यानी सौर कोरोना और सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोटों यानी कोरोनल मास इजेक्शन की गतिशीलता का अध्ययन करेगा.
एसयूआईटी का क्या होगा काम
सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) नामक पेलोड अल्ट्रा-वायलेट (यूवी) के निकट सौर प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा. इसके साथ ही SUIT यूवी के नजदीक सौर विकिरण में होने वाले बदलावों को भी मापेगा.
एएसपीईएक्स करेगा हवा और ऊर्जा का अध्ययन
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) और प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) पेलोड सौर पवन और शक्तिशाली आयनों के साथ-साथ उनके ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेंगे.
कैसे खुलेगा सूर्य से आने वाली एक्स-रे किरणों का राज?
सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) और हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) विस्तृत एक्स-रे ऊर्जा रेंज में सूर्य से आने वाली एक्स-रे किरणों का अध्ययन करेंगे. इसके साथ मैग्नेटोमीटर पेलोड को L1 बिंदु पर दो ग्रहों के बीच के चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए बनाया गया है.
स्वदेशी तकनीक से तैयार हुए हैं सभी 7 पेलोड
आदित्य-एल1 के सातों विज्ञान पेलोड की खास बात है कि ये देश में विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं. ये सभी पेलोड इसरो के विभिन्न केंद्रों के सहयोग से विकसित किए गए हैं.
.
Tags: ISRO, New Delhi news, Space Science
FIRST PUBLISHED : September 02, 2023, 17:05 IST
[ad_2]
Source link