1975 में आज ही के दिन देश में इमरजेंसी की घोषणा की गई थी। इमरजेंसी के 48 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आज ‘काला दिवस’ मना रही है। बीजेपी पूरे देश के अंदर सभी जिलों और सभी लोकसभा क्षेत्रों में बड़े सम्मेलन कर रही है। इन सभी सम्मेलन में आपातकाल के पीड़ितों की आपबीती (जिस तरह से उन्हें प्रताड़ित किया गया) बताई जाएगी। पीड़ितों को क्रांतिकारी के रूप में सम्मानित भी किया जाएगा।
“1984 में सिखों का कत्लेआम मचाया”
इसे लेकर बीजेपी का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी को आपातकाल के बारे में इतनी जानकारी नहीं है, तो यह सम्मेलन इसलिए किए जा रहे हैं, ताकि युवा पीढ़ी को यह बताया जाए कि ये वही कांग्रेस है, जो देश के बाहर जाकर कह रही है कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है, लेकिन इन्होंने ही कत्लेआम मचाकर देश का बंटवारा किया और 1984 में सिखों का कत्लेआम मचाया। वहीं, सम्मेलनों में जो पीड़ित नहीं आ पाएंगे उनके घर बीजेपी कार्यकर्ता जाएंगे और जिन पीड़ितों का स्वर्गवास हो गया है उनके परिवारजनों को बुलाकर उनका सम्मान किया जाएगा।
आपातकाल पर विपक्षी नेता चुप: बीजेपी
बीजेपी हर राज्य में ‘काला दिवस’ मना रही है, क्योंकि पार्टी का मानना है कि विपक्ष के नेता सत्ता के लालच में इतने व्याकुल है कि कांग्रेस के काले कृत्य का जिक्र नहीं कर पा रहे हैं। बीजेपी जनता को विपक्षी नेताओं (कांग्रेस से अलग) के आपातकाल पर चुप्पी के बारे में भी बताएगी। बीजेपी ने आपातकाल पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जो जन-जन तक पहुंचाएगी। पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से ‘काला दिवस’ मनाया जाएगा।