Friday, March 14, 2025
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‘आप एक पुराने बैल की तरह जनता के लिए काम कर रहे हैं,’ चीन के राष्‍ट्रपति जिनपिंग ने पिता को लिखी थी इमोशनल चिट्ठी


बीजिंग: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पिता शी चोंगशुन चीन में एक मशहूर पुराने क्रांतिकारी थे। वह चीन के उप प्रधानमंत्री तथा नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। 15 अक्‍टूबर 2001 को शीचोंगशुन का 88वां जन्मदिन था। शी जिनपिंग को छोड़कर इसे मनाने के लिए पूरे परिवार के सभी सदस्य इकट्ठा हुए थे। उस समय जिनपिंग दक्षिण चीन के फुच्येन प्रांत के गवर्नर थे और काम में व्यस्त होने के कारण वे इस पारिवारिक गतिविधि में भाग नहीं ले पाये। जिनपिंग आज भी अपने पिता की कही हुई बातों से प्रेरणा लेते हैं।

पिता के बर्थडे पर लिखी चिट्ठी
उन्होंने गहरी भावना से पिता के जन्मदिन की बधाई के लिए एक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा, ‘आप एक पुराने बैल की तरह चीनी जनता के लिए काम कर रहे हैं। इससे मुझे बड़ी प्रेरणा मिली। मैं आजीवन जन सेवा में अपनी पूरी शक्ति लगाऊंगा और मातृभूमि तथा जनता की सेवा करूंगा।’ जब पिता शी चोंगशुन ने शी जिनपिंग का पत्र पढ़ा, तो उन्होंने शी जिनपिंग की अनुपस्थिति पर पूरी समझ व्यक्त की। उन्होंने अपने परिवारवालों को बताया कि काम और देश को प्राथमिकता देनी चाहिए। जनता की सेवा करना तो माता पिता के प्रति सब से बड़ी निष्ठा है।

पिता से किया था वादा
चीन के उत्तर पश्चिम में काम करते समय शी चोंगशुन ने वादा दिया था कि मैं उत्तर पश्चिम की जनता का अच्छा सेवक बनूंगा। शी जिनपिंग ने अपने पिता की बात याद की। उन्होंने कहा कि मैं जनता का सेवक हूं और जन-सेवा करता हूं। अपने राजनीतिक जीवन में शी जिनपिंग हमेशा इस अवधारणा को लागू करते हैं। देश के लिए अपने छोटे परिवार को छोड़ना शी चोंगशुन की पारिवारिक परंपरा है। जैसे उन्होंने अपने संतानों से कहा कि मैंने आप लोगों के लिए खास संपत्ति नहीं छोड़ी, लेकिन मैं आप लोगों के लिए अच्छी कीर्ति छोड़ जाऊंगा।

आज भी साथ रखते हैं पिता की तस्‍वीर
शी जिनपिंग के बुकशेल्‍फ पर आज भी उनके पिता, शी चोंगशुन को व्हीलचेयर में धक्का देते हुए एक तस्वीर है। जबकि फोटो में उनकी पत्नी और बेटी उनके साथ चल रही हैं। उनके पिता एक किसान थे और वह हमेशा खुद को मेहनतकश लोगों की भीड़ का हिस्‍सा कहते थे। जिनपिंग ने पिता की हर तरह कई अवसरों पर पारिवारिक शिक्षा और सद्गुणों के महत्व पर भी जोर दिया है। जिनपिंग ने कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि समय कितना बदल गया है, पारिवारिक मूल्यों, पारिवारिक शिक्षा और परिवार निर्माण पर बल दिया जाना चाहिए।’



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