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अशोका यूनिवर्सिटी के एक फैकल्टी के रिसर्च पेपर को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। यूनिवर्सिटी के एक फैकल्टी मेंबर द्वारा पब्लिश कराए गए रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने गड़बड़ी करवाई थी जिसकी वजह से उसे बड़ी जीत हासिल हुई थी। हालांकि विश्वविद्यालय ने रिसर्च पेपर में किए गए दावे से पल्ला झाड़ लिया है। विश्वविद्यालय की तरफ से बयान जारी करके कहा गया है कि इस रिसर्च पेपर में किए गए दावे किसी स्टाफ या फिर स्टूडेंट के निजी हो सकते हैं। इसका विश्वविद्यालय से कोई लेना देना नहीं है। विश्वविद्यालय के जर्नल में इसे जगह भी नहीं दी गई है।
बता दें कि विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने वाले सब्यासाची दास ने 50 पेज का रिसर्च पेपर पब्लिश किया जिसमें चुनाव प्रणाली और भाजपा पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। इसको लेकर अब राजनीतिक गलियारों में भी विवाद छिड़ गया है। इस रिसर्च पेपर में कहा गया है कि करीब मुकाबले वाले क्षेत्रों में भाजपा की असंगत जीत चुनाव के वक्त उन राज्यों में भाजपा के शासन की वजह से हुई है। उनका कहना है कि जहां भाजपा की सरकार थी उन्हीं राज्यों में देखने को मिला है कि क्लोज फाइट वाली सीटों पर भाजपा जीत गई। उनका दावा है कि बूथ लेवल पर गड़बड़ी की गई। रिसर्च पेपर में यह भी कहा गया कि जिन जगहों पर भाजपा शासित राज्यों के अधिकारियों की संख्या ऑब्जर्वर के रूप में ज्यादा थी वहां भाजपा की जीत हुई।
छिड़ गई राजनीतिक बहस
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा चुनाव आयोग औरभारत सरकार को इन दावों का जवाब देना चाहिए। उन्हें डीटेल में जवाब देना चाहिए। एक सीरियस स्कॉलर द्वारा दिए गए तर्क कोई राजनीतिक विद्वेष की वजह से नहीं हैं। असंगत वोट टैली के बारे में भी जवाब देने की जरूरत है। इससे भागा नहीं जा सकता।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस रिसर्च पेपर पर सवाल उठाते हुएकहा कि भाजपा से मतभेद होना गलत नहीं है लेकिन यह तो कुछ ज्यादा ही हो गया। कोई कैसे आधी रिसर्ट के दम पर देश की चुनावी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर सकता है। कोई विश्वविद्याल इसकी इजाजत कैसे दे सकती है? इसका जवाब देना चाहिए। विश्वविद्यालय ने जवाब देते हुए कहा कि यह रिसर्च पेपर अभी पूरा नहीं हुआ है और इका क्रिटिकल रिव्यू भी नहीं किया गया है। इसे अकैडमिक जर्नल में भी प्रकाशित नहीं किया गया।
इस रिसर्च पेपर का शीर्षक ‘डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी’ है। इसमें 2019 के चुनाव को लेकर तर्क दिए हैं कि किस तरह से पैटर्न असंगत था और यह वहां पर हुआ जहां भाजपा की सरकार थी। इसमें यह भी दावा किया गया कि इलेक्शन ऑब्जर्वर द्वारा ढील दी गई जिससे मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया गया।