हाइलाइट्स
एक साल की उम्र से ही बच्चे दूसरों के साथ आंखें मिलाना से कतराने लगता है.
कुछ बच्चों को बोलने में भी दिक्कत होती है.
World Autism Awareness Day 2023: फिल्म ‘तारे जमीन पर’ में छोटे बच्चे ईशान अवस्थी हो या फिल्म ‘बर्फी’ में प्रियंका चोपड़ा का किरदार हो, दोनों में एक बात कॉमन थी. दोनों ऑटिज्म से पीड़ित थे. ऑटिज्म दिमाग के विकास से संबंधित एक ऐसी व्यवहारगत स्थिति है जिसमें बच्चा दूसरों से हिलने-मिलने में बहुत असहजता महसूस करता है और हमेशा डरा-डरा रहता है. इसमें बच्चा एक ही तरह की कुछ हरकतें हमेशा करता रहता है. बच्चे को सामाजिक मेल-जोल से बहुत परेशानी होती है. बड़े हो जाने के बाद भी यह स्थिति बरकरार रहती है लेकिन अगर शुरुआत में इस मनोविकार के लक्षणों को पहचान लिया जाए तो इसे बहुत हद तक नियंत्रण में लाया जा सकता है.
मायो क्लिनिक के मुताबिक ऑटिज्म से संबंधित कई स्थितियों को एक साथ ऑटिज्म स्पेक्ट्रक डिसऑर्डर कहते हैं. इसमें दूसरे से किए जाने वाले व्यहार, सामाजिक संपर्क और मेलजोल में समस्याएं पैदा होती है. ऑटिज्म में कई तरह के लक्षण एक साथ दिखते हैं इसलिए इसमें स्पेक्ट्रम शब्द को जोड़ा गया है. पहले ऑटिज्म, एस्पर्जर सिंड्रोम, चाइल्डहूड डिसेंटीग्रेटिव डिसऑर्डर को अलग-अलग विकार माना जाता था लेकिन अब इन सबको ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है.
कब से होती है ऑटिज्म की शुरुआत
इस विकार की शुरुआत कुछ बच्चों में एक साल से ही हो जाती है. लेकिन 18 से 24 महीनों के बीच ऑटिज्म के स्पष्ट संकेत देखने को मिलने लगते हैं.
ऑटिज्म के लक्षण
1. आंखें न मिला पाना-एक साल की उम्र से ही बच्चे दूसरों के साथ आंखें मिलाना से कतराने लगता है. हालांकि अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग तरह से लक्षण देखने को मिलते हैं.
2.नाम सुनने पर प्रतिक्रिया न देना-बच्चों को जब नाम से बुलाया जाता है तो वह इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता.
3.सीखने में दिक्कत-कुछ बच्चों को सीखने में बहुत दिक्कत होती है, लाख कोशिश के बावजूद वह सीख नहीं पाता. लेकिन कुछ बच्चों में सीखने की गजब की क्षमता होती है.
4.सामान्य से कम या ज्यादा इंटेलीजेंसी-कुछ बच्चों में सामान्य से कम बौद्धकता हो सकती है. हालांकि कुछ बच्चों में सामान्य से बहुत अधिक इंटेलीजेंसी भी होती है. ऐसे बच्चे बहुत जल्दी सीख लेते हैं लेकिन इसे दूसरों को समझा नहीं पाते क्योंकि दूसरों से संपर्क करने में परेशानी होती है.
5.सामान्य गतिविधियों में दिक्कत-कुछ बच्चों में सामान्य कामकाज करने में भी परेशानी होती है. वह दैनिक काम भी सही से नहीं कर पाता है.
6.दूसरों से संपर्क में परेशानी-कुछ बच्चों को दूसरों के साथ संपर्क करने में परेशानी होती है. वह किसी से आंखें नहीं मिला पाता है. दूसरे के पास आते ही अलग तरह का चेहरा बन जाता है.
7.रोबोट की तरह आवाज-कुछ बच्चों को बोलने में भी दिक्कत होती है. वह रोबोट की आवाज की तरह बोलने लगताा है.
इलाज किया है
ऑटिज्म का शत प्रतिशत इलाज नहीं है लेकिन यदि शुरुआत में डॉक्टर के पास ले जाया जाए तो इस विकृति को बहुत हद तक मैनेज किया जा सकता है. प्रीस्कूल से ही इसपर ध्यान दिया जाना जरूरी है. इसके लिए कई मोर्चे पर इलाज की आवश्यकता होती है. माता-पिता और फैमिली को भी ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा स्कूल में अलग तरह से ट्रीट किया जाता है. डॉक्टर साइकलॉजिक थेरेपी देते हैं. कुछ दवाइयां भी दी जाती है. इसलिए अगर इन लक्षणों को अपने बच्चों में देखें तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.
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Tags: Health tips, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : April 02, 2023, 13:54 IST