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भारत जैसे देश में बॉयोडायर्सिटी और ईकोसिस्टम का बचाना एक कठिन कदम है। साथ ही इसमें ज्यादा रिसोर्स और रिचार्ज की जरूरत होती है। इसके अलावा फाइनेंशियल और काफी लोगों की जरूरत होती है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई बेस्ड इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक रक्षक बनकर उभरा है। इससे हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट डेटा या एनालिटिक्स जैसी तकनीक से उत्तर पूर्व जैसे क्षेत्र में जो दुर्गम है और एक कठिन स्थलाकृति है जो जमीनी निगरानी को बाधित करती है, समृद्ध जैव विविधता और अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है।
ग्लोबली IoT डिवाइस इकोसिस्टम और बॉयोडायवर्सिटी की निगरानी की जा रही है। इसमें सेंसर से लैस आईओटी डिवाइस हवा की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता, मिट्टी की स्थिति का रियल टाइम डेटा कलेक्ट करती हैं। ऐसे में पॉलिसी बनाने से लेकर पर्यावरण को बचाने कि लिए प्रदूषण हॉटस्पॉट का पता लगाया जाता है, जिसमें IoT डिवाइस का काफी अहम रोल होता है।
भारत के उत्तर पूर्व में अवैध वनों की कटाई और अवैध शिकार से निपटने के लिए क्लोजर होम, सेंसर और IoT बेस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। वनों में हाई स्पीड ध्वनिक सेंसर वाले ड्रोन और कैमरे जानवरों को शिकार से बचाते हैं। असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को बाघों पर नज़र रखने के लिए इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस ऐसे जानवरों में लगाए जाते हैं, जिनके अवैध शिकार का खतरा है। इसमें बाघ, गैंडे और हाथी शामिल हैं।
कुछ अहम प्वाइंट
- IoT से बाध के खतरों का समय से पहले पता लगाया जा सकता है। चीन से पानी छोड़ने से ब्रह्मपुत्र घाटी में बाढ़ का खतरा बना रहता है, जिससे IoT की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है।
- IoT बेस्ड सिस्टम से समय से पहले मौसम की जानकारी हासिल की जा सकती है, जिससे अधिकारियों को समय पर अलर्ट जारी किया जा सकता है।
- IoT का उपयोग करके हम नेचर को बचा सकते हैं। आज के वक्त में निगरानी और डेटा कलेक्शन के लिए IoT एक अहम टेक्नोलॉजी बनकर उभरी है।
- बदले मानसून पैटर्न, बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी के लिए IoT जरूरी हो जाती है। इसमें जल स्तर, वर्षा पैटर्न और वाटरशेड की निगरानी के लिए IoT का उपयोग किया जाता है।
- IoT बेस्ड सेंसर जमीन के नीचे पानी की निगरानी की जाती है, जिससे वाटर लेवल को गिरने से बचाया जाता है।
- अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में जंगलों में अवैध लकड़ी की कटाई का पता लगाने के लिए इसी तरह के सेंसर का उपयोग किया जा सकता है।
- भारत के लिए आईओटी समाधानों को अपनाना और सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
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