Home Life Style इंदौर में ‘लाल बाल्टी’ है ब्रांड! 60 साल पुरानी इस दुकान की कचौड़ी लाजवाब, दिलचस्प है नाम की कहानी

इंदौर में ‘लाल बाल्टी’ है ब्रांड! 60 साल पुरानी इस दुकान की कचौड़ी लाजवाब, दिलचस्प है नाम की कहानी

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अभिलाष मिश्रा/इंदौर: इंदौर में 60 साल पुरानी कचौड़ी की एक ऐसी दुकान है, जो ‘लाल बाल्टी आलू कचौड़ी’ के नाम से मशहूर है. इस दुकान की आलू कचौड़ी का स्वाद आज भी लोगों की जुबां पर वैसे ही राज कर रहा है, जैसे सालों पहले था. दुकान के इस नाम के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है, जो इसकी शुरुआत से जुड़ी हुई है.

दरअसल, 60 वर्ष पहले जब यह दुकान शुरू की गई थी, उस वक्त ब्रांडिंग के लिए लाल बाल्टी की व्यवस्था की गई थी. जब तक लाल बाल्टी में प्रकाश दिखता था, बाहर से देखकर ही लोग समझ जाते थे कि दुकान में कचौड़ी अभी मिल रही है. धीरे-धीरे यह दुकान लाल बाल्टी के नाम से ही मशहूर हो गई..जहां इंदौर के कोने-कोने से लोग इस दुकान पर आलू कचोरी का लुफ्त उठाने आते हैं.

दुकान की संचालिका अनुप्रीता आनंद रनाडे ने बताया कि हमारी दुकान को लगभग 60 वर्ष हो गए हैं. आज हमारी दुकान की इंदौर में तीन शाखाएं हैं. इंदौर के तिलकपथ, राजेंद्र नगर, सिलिकॉन तीनों जगह हमारी शाखाएं हैं. जब दुकान की शुरुआत की गई थी तब एक आलू कचौड़ी पांच पैसे की दी जाती थी. अब लगभग 60 वर्ष हो चुके हैं. अब दुकान में कचौड़ी का रेट पंद्रह रुपए है.

ससुर ने शुरू की थी दुकान, सास करतीं थी मदद
आगे बताया कि लगभग 60 साल पहले यह दुकान हमारे ससुर रघुनाथ रानाडे ने शुरू की थी. उस समय दुकान के संचालन में हमारी सास सुशीला भी उनका सहयोग करती थी. दोनों मिलकर दुकान का संचालन करते थे. उसके बाद मेरे पति आनंद रानाडे दुकान का कार्यभार संभालने लगे. उन्होंने बताया कि हमारी दुकान में लगभग 60 वर्षों से आलू कचौड़ी ही बनाई जाती है, जो फेमस हरी चटनी के साथ दी जाती है. लोगों को काफी पसंद आती है और देखते ही देखते लोग एक के बाद एक कई कचौड़ी खा जाते हैं.

शाहरुख, माधुरी और नाना पाटेकर को भी पंसद आई कचौड़ी
अनुप्रीता ने बताया कि वर्षों पहले शाहरुख खान एक स्टेज परफॉर्मेंस के लिए इंदौर आए थे. जिस दरमियान उन्होंने हमारी आलू कचौड़ी खाई, तो माइक से ही हमारी कचौड़ी की तारीफ की थी. इसके अलावा माधुरी दीक्षित और नाना पाटेकर के लिए भी हमारी दुकान से कचौड़ी गई थी, जो उन्हें काफी पसंद आई थी.

अटल जी भी चख चुके स्वाद
बताया कि मेरे ससुर रघुनाथ रानाडे बताते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी जब इंदौर आते थे, तब  तो वह शेखर कीबे जी के मकान पर घूमने आते थे. हमारी सबसे पुरानी दुकान शेखर जी के घर के सामने ही थी. जिस वजह से अटलजी के लिए भी हमारी दुकान से कचौड़ी जाती थी. हमारी दुकान रात में 8:30 बजे बंद होती है, लेकिन दुकान बंद होने के बाद भी ग्राहक फोन लगाते हैं और ग्राहकों को बेहद प्यार मिलता है.

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FIRST PUBLISHED : May 17, 2023, 16:00 IST



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