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कैसा हो अगर इंसानी दिमाग में कंप्यूटर फिट हो सके और फटाफट डाटा ट्रांसफर, सेव या डिलीट किया जा सके? यह कल्पना किसी साइंस फिक्शन फिल्म की नहीं बल्कि अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी Neuralink की है। इस कंपनी का मकसद ही इंसानी दिमाग में एक कंप्यूटर चिप फिट करना है और जल्द ही यह कल्पना सच्चाई में बदलने वाली है।
लंबे वक्त तक जानवरों के दिमाग में कंप्यूटर चिप की टेस्टिंग करने के बाद पिछले साल Neruralink को अमेरिकी रेग्युलेटर्स की परमिशन मिली है और इंसानी दिमाग में कंप्यूटर चिप इंप्लांट अब दूर नहीं। कंपनी का दावा है कि इस इंप्लांट के जरिए इंसानी दिमाग को कंप्यूटर से जोड़ा जा सकेगा और लोग सोचने भर से कंप्यूटर कमांड्स दे सकेंगे।
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बेहद छोटा है कंप्यूटर चिप का प्रोटोटाइप
न्यूरालिंक इंसान के दिमाग में जो कंप्यूटर चिप लगाने जा रहा है, उसका आकार बेहद छोटा है और मौजूदा प्रोटोटाइप एक सिक्के जितना है। हालांकि कंपनी के ऊपर जानवरों को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी लगे हैं और एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2018 के बाद इस इंप्लांट के टेस्टिंग के दौरान लगभग 1,500 जानवरों की मौत हुई है।
क्या है न्यूरालिंक कंप्यूटर चिप की जरूरत?
एलन मस्क का दावा है कि सफल टेस्टिंग के बाद चिप का इस्तेमाल उन मरीजों के साथ किया जाएगा, जो पैरालिसिस या अन्य अंगों की अक्षमता संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। चिप की मदद से ऐसे लोग कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज चला पाएंगे। इसके अलावा बोलने या सुनने में अक्षम लोगों को भी चिप की मदद से संवाद करने का विकल्प मिलेगा।
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न्यूरालिंक चिप पर क्या है एक्सपर्ट की राय?
टेक एक्सपर्ट विनोद के सिंह की मानें तो बेशक न्यूरालिंक से जुड़े बदलाव भविष्य की नींव रखते हैं लेकिन इससे होने वाले दुष्प्रभाव भी एक गहरी चिंता का विषय है जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खासकर शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल में कंपनी को खास ध्यान रखना होगा कि किसी तरह का संक्रमण या बाकी नुकसान रिक्रूटर्स को ना हो। इसके अलावा कंप्यूटर से जुड़ाव के चलते ऐसे चिप और इसके नेटवर्क की हैकिंग का खतरा भी बना रहेगा।
विनोद भी न्यूरालिंक को सकारात्मक कदम मानते हैं और उनका मानना है कि तकनीकी दुनिया में इंसान का मशीन से जुड़ाव कई प्रक्रियाओं को आसान बना सकता है। इसके अलावा खासकर ऐसे लोग, जो लकवा या अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, उनके लिए न्यूरालिंक की सफलता वरदान साबित हो सकती है।