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इजरायल और फिलिस्तीन के बीच कई दशकों से जंग जारी है। मगर एक वक्त ऐसा भी आया था जब दोनों देशों के रिश्ते मधुर हो चले थे। साल 1992 की बात है जब इजरायली प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन ने फिलिस्तीन के साथ हाथ मिलाया था। तब फिलिस्तीन के तत्कालीन राष्ट्रपति यासिर अराफात ने भी आगे बढ़कर इस पहल का स्वागत किया था। दोनों अपने-अपने देशों के मुद्दे सुलझाने के लिए सामने आए। यित्जाक राबिन का मानना था कि यारिस अराफात की संगठन पीएलओ एक आतंकवादी संगठन नहीं है। वे बस अपना देश चाहते हैं इसका सम्मान किया जाना चाहिए। तब के इजरायली पीएम की बात का फिलिस्तीन ने स्वागत किया और दोनों ने एक दूसरे को स्वीकारा।
हुई थी अराफात और राबिन की दोस्ती
इजरायल और फिलिस्तीन की दोस्ती पर साल 1993 में ओस्लो अकॉर्ड पर मुहर लगी। इस दौरान दोनों देशों ने मिलकर इस बात की योजना बनाई की कैसे दोनों देशों में आपस में भू-भाग का बंटवारा शांतिपूर्ण ढंग से किया जाए। इस बात की भी चर्चा हुई कि कैसे एक बेहतर फिलिस्तीन देश को बनाया जाए। इसके बाद साल 1994 में पहली बार फिलिस्तीन में सरकार बनाई जाती है। दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर होने की स्थिति में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों – फिलिस्तीन के यारिस अराफात और इजरायल यित्जाक राबिन नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। मगर दोनों देशों के बीच शांति बहुत दिनों तक कायम नहीं रह पाई। यित्जाक राबिन का यासिर अराफात से हाथ मिलाने से इजरायल के कट्टरपंथी काफी नाराज हो गए और उन्होंने यित्जाक राबिन की हत्या कर दी।
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कैसे हुआ हमास का उदय
इस घटना के कुछ साल पहले साल 1987 में फिलिस्तीन में इस्लामिक कट्टरवादी लोग सामने आते हैं और हमास ग्रुप बनाते हैं। हमास ग्रुप का कहना था कि पीएलओ वाले लोग ज्यादा ही सेक्युलर बन रहे और इजरायल के साथ बेहद शराफत से पेश आ रहे हैं। पहले के फिलिस्तीनियों की तरह हमास ग्रुप इजरायल को नक्शे से ही मिटाना चाहता था। 90 के दशक में हमास ग्रुप इजरायल में आत्मघाती हमले भी करता रहा। इस तरह से इजरायल और गाजा पट्टी में रह रहे हमास ग्रुप के बीच कट्टरता बढ़ जाती है। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं।
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गृह युद्ध में गाजा पर किया हमास ने कब्जा
2002 में दोनों तरफ हिंसा और विरोध देखने को मिलता है। कई इजरायली और फिलिस्तीनियों की जान चली जाती है। 2006 में हमास ग्रुप फिलिस्तीन में इलेक्शन लड़ता है और जीत जाता है। हमास पीएलओ की पार्टी फतह को इलेक्शन में हरा देता है। 132 सीटों में से हमास का 74 सीटों पर हमास का कब्जा होता है। मगर फिलिस्तीन के अंदर दोनों गुटों में साल 2007 में गृह युद्ध छिड़ जाता है। इस लड़ाई को गाजा की लड़ाई कहा गया। इसके बाद फिलिस्तीन देश दो हिस्सो में बंट जाता है। वेस्ट बैंक वाला हिस्सा है वहां फतह और पीएलओ का राज हो जाता है। वहीं गाजा पट्टी में हमास का कब्जा हो जाता है।
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