Curd Side Effects: सेहतमंद रहने के लिए लोग तमाम चीजों का सेवन करते हैं. दही ऐसे ही खाद्य पदार्थों में से एक है. वैसे तो इसकी उपयोगिता सालभर होती है, लेकिन गर्मी में इसकी मांग अधिक बढ़ जाती है. दही फायदेमंद इसलिए क्योंकि, ये दूध का प्रोडक्ट है, इसलिए इसमें प्रोटीन की अधिक होती है. दूसरा यह बैक्टीरिया के कारण फर्मेंटेड हो जाता है, जिससे दही में कई फायदेमंद चीजें शामिल हो जाती है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट खाने में दही को शामिल करने की सलाह देते हैं. एक तरह जहां दही इतना फायदेमंद है वहीं दूसरी तरफ आयुर्वेद कुछ लोगों को दही खाने से मना भी करते हैं. अब सवाल है कि आखिर दही में कौन-कौन तत्व पाए जाते हैं? किन लोगों को नहीं खाना चाहिए? किन परेशानियों का बनता कारण? इस बारे में News18 को बता रही हैं डाइट फॉर डिलाइट क्लीनिक नोएडा की डाइटिशियन खुशबू शर्मा-
दही में मौजूद पोषक तत्व
एक्सपर्ट के मुताबिक, दही प्रोबायोटिक्स का बहुत बड़ा स्रोत है. यह गुड बैक्टीरिया की संख्या को बहुत अधिक बढ़ा देता है. दही में कैल्शियम, विटामिन बी 12, पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. 100 ग्राम दही में 3.5 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. इसके अलावा कई अन्य तरह के पोषक तत्व इसमें मौजूद होते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि दही उत्तम क्वालिटी वाला प्रोबायोटिक है.
किन लोगों को नहीं खाना चाहिए दही
गठिया पीड़ित: आयुर्वेद में माना जाता है कि दही गठिया दर्द को बढ़ावा देता है. बता दें कि, यूरिक एसिड ज्यादा होने से यह प्यूरिन में टूट जाता है. प्यूरिन जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है. हालांकि, एलोपैथ में दही का गठिया दर्द से कोई संबंध नहीं है.
डायबिटीज: फ्लेवर्ड या मीठे दही को डायबिटीज पीड़ित खाने से बचें. बता दें कि ऐसे दही में अक्सर एक्स्ट्रा चीनी होती है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है और डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकती है.
कफ की समस्या: जिन लोगों को कफ की समस्या है वो भी दही खाने से बचें. आयुर्वेद के अनुसार, दही को शरीर में “कफ” बढ़ाने वाला माना जाता है, जिससे पहले से ही कफ से परेशान व्यक्तियों में सुस्ती या असंतुलन हो सकता है. ये टॉन्सिल्स की स्थिति को भी गंभीर कर सकता है.
कमजोर पाचन: हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो, कमजोर पाचन तंत्र वाले लोगों के लिए दही पचाने में भारी हो सकता है, खासकर अगर रात में खाया जाए, जिससे पेट फूलना या बेचैनी हो सकती है. इसके अलावा, दही बलगम के प्रोडक्शन को बढ़ा सकता है.
ये लोग भी दही से बचें: दही के अम्लीय गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों में एसिड रिफ्लक्स या अपच को खराब कर सकती है. साथ ही दही में लैक्टोज होता है और लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले लोगों को दही सहित डेयरी उत्पादों का सेवन करने के बाद पेट फूलना, दस्त या पेट में ऐंठन हो सकती है.