नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण (Pollution) के खतरे के बीच ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरमेंटल हेल्थ पर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित हुआ. यह सेमिनार मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) में आयोजित किया गया. कॉलेज के सेंटर फॉर ऑक्यूपेशनल एंड एनवायर्नमेंटल हेल्थ (COEH) ने व्यावसायिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में वर्तमान चुनौतियों पर 3 दिन तक चर्चा का आयोजन किया. इस चर्चा में देश-विदेश के 100 से भी ज्यादा डॉक्टर, रिसर्चर, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद शामिल हुए. इस सेमिनार में आपके घर से लेकर ऑफिस तक होने वाले प्रदूषण को लेकर चर्चा हुई. इस सेमिनार में सांस, फेफड़ा, मेडिसिन और पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के देश- विदेश के डॉक्टर, प्रोफेसर और रिसर्चर ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए.
बता दें कि भारत में स्वास्थ्य को पिछले कुछ सालों तक लोग गंभीरता से नहीं लेते थे, लेकिन हाल के दिनों में प्रदूषण और उसके दुष्प्रभाव के बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई है. साथ ही प्रदूषण के स्रोतों के बारे में भी रिसर्च सामने आने लगा है. आपके शरीर को वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण या ध्वनि प्रदूषण कई वजहों से नुकसान पहंचाते हैं. आप जहां काम करते हैं और कैसा काम कर रहे हैं उससे भी आपका स्वास्थ्य प्रभावित होता है. भारत में लैपटॉप, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ज्यादा इस्तेमाल और असुरक्षित इस्तेमाल से भी आपका स्वास्थ्य प्रभावित होता है. कई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है.
भारत में स्वास्थ्य को पिछले कुछ सालों तक लोग गंभीरता से नहीं लेते थे,
इनडोर पॉल्यूशन आपके लिए कितना बड़ा खतरा
वायु प्रदूषण से हृदय और श्वसन प्रणालियों पर इसके कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं. सेमिनार में इस बात पर चर्चा हुई कि प्रदूषण आपके लिए कितना खतरनाक हो सकता है. अमेरिका के प्रसिद्ध रिसर्चर डॉ. आर्थर फ्रैंक ने कहा कि विशेष रूप से वाहन के धुएं से निकलने वाले कण शरीर की प्रतिरक्षाविज्ञानी प्रतिक्रियाओं को खराब कर सकते हैं, सूजन पैदा कर सकते हैं और यहां तक कि आपके बोलने और चलने के कार्य को भी खराब कर सकते हैं. आने वाले दिनों में भारत में इनडोर प्रदूषण गंभीर चिंता का कारण हो सकता है. बता दें कि डॉ. आर्थर डोर्नसाइफ स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर होने के साथ-साथ चिकित्सा और सिविल, वास्तुशिल्प और पर्यावरण इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी हैं.
डिजिटल डंप साइटों से हो रहा है प्रदूषण
सम्मेलन में असंगठित क्षेत्र में व्यावसायिक स्वास्थ्य चुनौतियों और जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों पर बात चर्चा हुई. ई-कचरे की बढ़ती मात्रा और विकासशील देशों में डिजिटल डंप साइटों और रीसाइक्लिंग समुदायों में बच्चों पर इसके प्रभाव को ध्यान में लाया गया. साथ ही पारा उत्पादन के स्रोतों, स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित किया गया.
पर्यावरण पर काम कर रहे अमेरिका के प्रसिद्ध रिसर्चर डॉ. आर्थर फ्रैंक ने अपने विचार प्रकट किए.
किन-किन लोगों ने लिया भाग
गाम्बिया के उच्चायुक्त सुश्री अजी फतूमट्टा जोफ सहित अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय, उत्तरी कैरोलिना-चैपल हिल विश्वविद्यालय और सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल हुए. इस सेमिनार में भारत से डॉ. एम एम सिंह, एलएनजेपी अस्पताल दिल्ली के पल्मोनरी विभाग के एचओडी डॉ. नरेश कुमार, डॉ. टी के जोशी, एलएनजेपी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एमके डागा और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के रिसर्चर गोविंद मावरी जैसे वक्ताओं ने प्रदूषण के रोकथाम को लेकर अपने विचार व्यक्त किए.
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इस सेमिनार में राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, आईआईटी-खड़गपुर, आईआईटी दिल्ली, एम्स दिल्ली, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान, पीएसआरआई, यकृत और पित्त विज्ञान संस्थान, ऊर्जा और अनुसंधान संस्थान, असम डाउनटाउन विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और टॉक्सिक लिंक्स, महिला हाउसिंग ट्रस्ट जैसे कई गैर सरकारी संगठन के लोग एक छत के नीचे एकत्रित हुए.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2023, 14:03 IST