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आर्थिक और सियासी संकट से जूझते पाकिस्तान को अब राजनीतिक गलियारों में भारत से ही उम्मीद नजर आ रह है। चुनाव से पहले जनता को लुभाने के लिए वहां के राजनेता बार-बार भारत और प्रधानमंत्री मोदी की बात करते हैं। विदेश मंत्री बिलावल जरदारी भुट्टो के पीएम मोदी और भारत पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी भारत की बात की है। हालांकि उनका लहजा थोड़ा नरम दिखाई दिया। इमरान खान ने कहा कि वह भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते थे लेकिन आरएसएस की विचारधारा और अनुच्छेद 370 को हटाया जाना आड़े आ गया।
विदेशी पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री खान ने कहा कि सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल कमर जावेद बाजवा भी भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अच्छे करना चाहते थे। उन्होंने कहा, मैं चाहता था कि मेरे साढ़े तीन साल के कार्यकाल में भारत के साथ संबंध बेहतर हों लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना और आरएसएस की विचारधारा रोड़ा बन गई। इमरान खान ने कहा, हम चाहते थे कि भारत अपना फैसला वापस ले ले और फिर पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता करे।
इमरान खान का इशारा पीएम मोदी की तरफ
खान ने कहा, हमें विश्वास है कि दक्षिणपंथी पार्टी का ही एक नेता चाहे तो यह विवाद खत्म हो सकता है। इमरान खान इशारों में प्रधानमंत्री मोदी की बात कर रहे थे। हालांकि इमरान खान ने सीधा पीएम मोदी का नाम नहीं लिया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर भारत सख्त है और पाकिस्तान लगातार घुसपैठिए भेजता है और आतंकवादियों को पनाह देता है।
साल 2016 में ही भारत औऱ पाकिस्तान के बीच एक बार फिर खटास आ गई थी। पठानकोट में पाकिस्तानी आतंकियों ने एयरबेस पर हमला किया था। इसके बाद टेंशन बढ़ गई थी। इसके बाद ही उरी में सेना के शिविर पर हमला कर दिया गया जिसके बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया। भारत सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया तो पाकिस्तान तिलमिला गया। लेकिन कर भी क्या कर सकता था। भारत के आंतरिक मामलों में सीधा दखल देना उसके वश में नहीं है।
भारत लगातार कहता है कि जब तक पाकिस्तान आतंकमुक्त महालौ नहीं बनाता और आतंकियों को पनाह देना बंद नहीं करता तबतक उससे बातचीत संभव नहीं है। इसी साल बाजवा ने कहा था कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर भारत से बात करने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि विवाद इलाके का हल शांतपूर्ण वार्ता से निकाला जाएगा। हालांकि भारत का मानना है कि कश्मीर कोई मुद्दा नहीं है। पाकिस्तान ने जो गलत तरीके से कश्मीर का हिस्सा कब्जाया है उसे भारत को सौंपना ही संबंध ठीक करने का एक मात्र विकल्प है।
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