नई दिल्ली:
CSK : इलेक्टोरल बॉन्ड पर इस वक्त काफी राजनीति हो रही है. जहां, राजनीतिक पार्टीज को करोड़ों रुपये मिल रहे हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने इसपर सख्ती बरती है. इलेक्टोरल बॉन्ड की मदद से कई बड़ी-बड़ी कंपनियों ने चुनाव से पहले पार्टी को फंडिंग दी, जिसकी जानकारी अब एक-एक कर सामने आ रही है. इस बीच आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स से जुड़ी भी एक बड़ी अपडेट सामने आई है. CSK ने भी एक पार्टी को करोड़ों की फंडिंग की है. इसकी जानकारी खुद पार्टी ने 2 बार दी थी.
CSK ने की फंडिंग
असल में, चेन्नई सुपर किंग्स को चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड नाम की कंपनी चलाती है, जिसकी पेरेंट कंपनी इंडिया सीमेंट्स है, जिसके मालिक एन श्रीनिवासन हैं. खबर है कि चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड ने ही एलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए तमिलनाडु की अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMIK) को चंदा दिया है. रिपोर्ट्स की मानें, तो इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए इस कंपनी को 6 करोड़ 5 लाख रुपये का चंदा दिया गया है.
रिपोर्ट्स की मानें, CSK क्रिकेट लिमिटेड ने 2019 में “अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम” को ये पैसे दिए थे. इसमें सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात तो ये है कि सिर्फ 2 दिन के भीतर यानि 2019 में 2 अप्रैल से 4 अप्रैल तक 5 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. साथ ही कोयंबटूर स्थित लक्ष्मी मशीन वर्क्स लिमिटेड वसे एक करोड़ और चेन्नई के गोपाल श्रीनिवासन से 5 लाख रुपये पॉलिटिकल पार्टी को चंदे के रूप में दिए गए. हालांकि, ये बात छुपी नहीं रही, क्योंकि 2 बार पार्टी के जरिए इसकी जानकारी दी गई.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर चल रहा है बवाल
15 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में शुरू की गई केंद्र की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था. साथ ही दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था. बता दें कि ये योजना गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की अनुमति देती है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने एसबीआई द्वारा साझा किए गए चुनावी बांड डेटा को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया. जारी किए गए आंकड़ों में 12 अप्रैल, 2019 से 1,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा चुनावी बांड की खरीद का सारा डेटा दिखाया गया है. मालूम हो कि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा चुनावी बांड के “यूनिक सीरियल नंबर” का खुलासा करने के मामले पर सुनवाई की. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से 21 मार्च तक सारी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया है.