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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए खान स्टडी ग्रुप (केएसजी) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की कोचिंग कराने वाले संस्थान केएसजी ने दावा किया था कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा वर्ष 2022 के सभी पांच टॉपर इशिता किशोर (रैक-1), गरिमा लोहिया (रैंक – 2), उमा हराथी एन (रैंक 3), स्मृति मिश्रा (रैंक 4) और मयूर हजारिका (रैंक 5) ने वहीं से कोचिंग ली थी। साथ ही यह भी बताया था कि चयनित 933 अभ्यर्थियों में से 682 ने केएसजी से ही कोचिंग ली है।
एक सरकारी बयान में, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने खान स्टडी ग्रुप (केएसजी) पर भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह निर्णय देशभर में उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए लिया गया था।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के मद्देनजर मुख्य आयुक्त निधि खरे और आयुक्त अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता वाली सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार कामकाज के लिए खान स्टडी ग्रुप (केएसजी) के खिलाफ आदेश जारी किया है। केएसजी ने भ्रामक दावों वाला विज्ञापन दिया था।
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बयान में कहा गया है, ”हर साल जब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम आता है, तो विभिन्न आईएएस कोचिंग संस्थान सफल उम्मीदवारों को अपना छात्र होने का दावा करते हैं।” इसमें कहा गया है, ”कोचिंग संस्थान संभावित उम्मीदवारों को प्रभावित करने के लिए टॉपर्स और सफल उम्मीदवारों की तस्वीरों और नामों का उपयोग करते हैं, जबकि ऐसे उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों या उनके द्वारा भुगतान की गई फीस और पाठ्यक्रम का खुलासा नहीं किया जाता।”
इसलिए, सीसीपीए ने स्वत: संज्ञान लिया और विभिन्न आईएएस कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया और खान स्टडी ग्रुप उनमें से एक है।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सीसीपीए ने कोचिंग संस्थान को अगस्त में नोटिस जारी किया था। जवाब में संस्थान ने कहा था कि विज्ञापन में दिखाए गए 682 सफल अभ्यर्थियों में से 674 ने मॉक इंटरव्यू प्रोग्राम में हिस्सा लिया था जो कि फ्री था। आगे जांच में पाया गया कि 682 में से सिर्फ 8 अभ्यर्थियों ने एडिश्नल कोर्सेज के लिए गाइडेंस ली थी वो भी पिछले सालों में। सीसीपीए ने कहा, ‘विज्ञापन में यह तथ्य नहीं बताया जाता। इससे उपभोक्ता को लगता है कि सफल अभ्यर्थी इस संस्थान से हैं, इससे वे ठगे जाते हैं।’ जांच में यह भी पाया गया कि पांच टॉपरों ने केएसजी से सिर्फ मॉक इंटरव्यू लिए थे।