शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद विनायक राउत ने नए संसद भवन के उद्घाटन पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि हम संसद भवन का विरोध नहीं कर रहे हैं। महाराष्ट्र में जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने संसद भवन के निर्माण को समर्थन दिया था। संसद भवन का उद्घाटन लोकतंत्र के सर्वोच्च पद पर बैठे राष्ट्रपति जी के हाथों से होना चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। यही कारण है कि हम विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने जी यह करके दिखाया है इसके लिए वो बधाई पात्र।
नए संसद भवन के लिए मोदी जी के शुक्रगुजार
विनायक राउत ने कहा कि हम उनके शुक्रगुजार हैं लेकिन अगर इस संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों होगा तो इसकी ऊंचाई और बढ़ेगी। प्रधानमंत्री के हम शुक्रगुजार हैं क्योंकि उनके माध्यम से इतने बड़े और बढ़िया संसद भवन का निर्माण हुआ है। इसमें कोई शक नहीं है। संसद भवन और लाइब्रेरी की तुलना नहीं की जा सकती। संसद भवन और एनेक्स बिल्डिंग की तुलना नहीं की जा सकती है। पुरानी संसद अंग्रेजों ने बनाया था। नया संसद मोदी जी ने बनाया। इसके लिए हम उनकी तारीफ करते हैं। उनके शुक्रगुजार हैं और इसमें हम कोई कंजूसी नहीं करेंगे।
पर क्या लोकतंत्र का पालन कर रही सरकार?
उन्होंने राजदंड़ सेंगोल को लेकर कहा कि राजदंड लाकर संसद में रखना अच्छी बात है। कई देश के विधानसभाओं में भी राजदंड है, लेकिन इस राजदंड का पालन करना बड़ी बात होती है। जिस सोच के साथ राजदंड का निर्माण किया गया था, क्या उसका पालन देश की सरकार कर रही है? क्या वो लोकतंत्र आज देश में है? सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय देने के बावजूद भी ऑर्डिनेंस निकालकर सारे पावर अपने हाथ में ले लेना यह लोकतंत्र है क्या? एक तरफ लोकशाही को बढ़ावा देने की बात करना और दूसरी तरफ ईडी, सीबीआई और एनसीबी के जरिए लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश करना सही है क्या? एजेंसियों का इस्तेमाल कर विरोधी दलों के नेताओं को परेशान किया जा रहा है।